जंग छिडा है मैदानोँ मेँ अब गरजेँगे हिन्दुस्तानी।
हमने नहीँ सिखा अय्यासी करना बचपन
से मेहनत करना सीखा है। नफरत है हमेँ भोग
विलास (प्रेमग्रंथ) से प्रेम है हमेँको कर्मवीरोँ से ।
हम हैँ वो वीर जिसने जन्म से
सुनी वीर
शिवाजी की कहानी है ।
भगवा रंग दौड रहा है रगोँ मेँ हमारे हम हैँ भारत माँ के दुलारे।
हमारे पूर्वज हैँ राम और कृष्ण हम भी करेँगे
स्थापना सनातन धर्म की । धर्म की खातिर
शीश कटाना सीखा है हमने
नहीँ सीखा शीश
झुकाना गद्दारोँ के आगे। हम हैँ धर्म रक्षक जो ईतिहास रचाऐँगे ।
बलि देवी की गोद मेँ हम हँसते हँसते
बैठेँगे । अब हम हिन्दुस्तान
ही नहीँ सम्पूर्ण विश्व मेँ
भगवा लहराऐँगे । ॥ॐ॥
Friday, January 3, 2014
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