Sunday, January 19, 2014

डा़ .अम्बेडकर ओर राम के बारे मे उनकी पहेली(Dr.Ambedkar and his Riddles of Rama)

यहा भगवान श्री राम के कई संख्या मे अनुयायी है|श्री राम अपनी लक्षणो ओर आदर्श सिध्दान्तो के कारण जाने जाते है|वह अपने नैतिक व्यवहार के लिए जाने जाते है|वह उन मे से एक है जिनके महान पथ का अनुसरण करने की हम लोगो को प्रेरणा मिलती है|धर्म के मार्ग का अनुसरण करने वाले हर उम्र के व्यक्तियो के लिए श्री राम जी आदर्श है|यह दुर्भाग्य है कि अम्बेडकर जी श्री राम के गुणो के मामले मे पहेलियो से घिर गए|अब हम इस मामले पर चर्चा करेगे ओर डा.अम्बेडकर की राम की पहेली की पुस्तक की बाल्मिक रामायण से जाच करेगे जिसे अम्बेडकर ने आसान कहा ओर कहा इसमे कुछ भी सनसनीखेज नही है|
डा.अम्बेडकर ने राम ओर उसकी पहेली मे लिखा है कि दशरथ के तीन रानिया थी सुमित्रा,कोशल्या ओर कैकई ओर कई सौ रखेले थी|वैदिक सिध्दान्त सिर्फ एक ही पत्नी के लिए कहता है|दशरथ का इतनी पत्निया रखना वैदिक सिध्दान्त के विरूध्द था|लेकिन अम्बेडकर का दावा है कि दशरथ के कई सौ रखेले थी| जो कही नही है,रामायण डा.अम्बेडकर की इस बात का कही भी समर्थन नही करती है|रामायण के बाल कांड के ६ वे सर्ग मे बाल्मिक जी ने दशरथ को जितेन्द्रीय कहा है|
बलवान निहितामित्रो मित्रवान विजितेन्द्रिय । बालकाण्ड षष्ठ
सर्ग श्लोक – ३
यदि दशरथ जी के कई रखैले होती तो डा. अम्बेडकर के अनुसार तो बाल्मिक जी उनहे जितेन्द्रीय क्यु कहते|
डा़.अम्बेडकर का दावा है,राम का जन्म चमत्कारिक रुप से ऋषि सुरंग के द्वारा रूपक गिलास मे तैयार किए गए पिंड से हुआ था ऐसा बताया जाता है लेकिन सच्चाई यह है कि राम का जन्म कोशल्या ओर सगे सुरंग के द्वारा हुआ था|यद्यपि उन दोनो का पति पत्नि का रिश्ता नही था|
अम्बेडकर के ये आरोप पूर्णतया तर्कहीन है|वह कौशल्या माता के सगे सुरंग ऋषि के साथ अनैतिक सम्बन्ध होने के आरोप लगा रहा है|हालांकि वो अपने इस दाबे की पुष्टी के लिए किसी भी प्रकार के सबुत रखने मे विफल रहा|राम जी के जन्म के बारे मे रामायण के विभिन्न अध्याय को अनदेखा कर डा.अम्बेडकर ने राम के जन्म के बारे मे झुठी कहानी गडी|जबकि सत्य यह है कि दशरथ के कोई सन्तान नही थी तब सगे सुरंग ने दशरथ को अपनी बीमारी के समाधान के लिए यज्ञ करने को प्रेरित किया|ओर इस यज्ञ के अवसर मे राजा दशरथ ने सभी वर्णो के लोगो को निमंत्रित किया

ततः सुमन्त्रमाहूय वसिष्ठो वाक्यमप्रवीत
निमन्त्रयस्व नृपतीन पृथिव्यां ये च धार्मिकाः
ब्राहम्मणान क्षत्रियान वैश्यान शुद्रांश्चैव सहस्रशः।
१९/२० बालकाण्डे त्रयोदश सर्ग
उसने देश के सभी सम्मानित व्यक्तियो को निमंत्रित किया|इसी अवसर पर सुमंत के द्वारा राजा जनक को आमंत्रित किया ओर इसी अवसर पर काही के राजा ओर कैकये के राजा को उनके पुत्रो के साथ आमंत्रित किया| विभिऩ्न देशो के विभिन्न लोगो को दशरथ ने अपने पुत्रेष्टी यज्ञ मे भाग लेने के लिए आमंत्रित किया|बाल्मिक अपने रामायण के बालकांड के १३ वे सर्ग मे कहते है कि दशरथ ने दक्षिण भारत के सभी राजाओ को आमंत्रित किया|उनहोने सुमंत द्वारा पृथ्वीभर के अपने शुभचिंतको को ओर सम्बन्धियो को यज्ञ के लिए आमंत्रित किया
दाक्षिणात्यान नरेन्द्रांश्च समस्तानानयस्व ह
सन्ति स्निग्धाश्च ये चान्ये राजानः पृथिवीतले
तानानय यथा क्षिप्रं सांऊगां सह्बान्धवान्
एतान दुतैर्महाभागैरानयस्व नृपाज्ञया।
२८/२९ बालकाण्डे त्रयोदश सर्ग
आगे बाल्मिक जी कहते है कि ऋषि सगे सुरंग यज्ञ को करते हुए दशरथ से कहते है कि मै पुत्रेष्टी यज्ञ को अर्थववेद मंत्रो से करता हू|अर्थववेद मे दी गई प्रक्रिया से ये यज्ञ करने पर उद्देश्य की पुर्ति शीघ्र होगी|
यष्टिं ते हं करिष्यामि पुत्रियां पुत्रकारणात
अथर्व शिरसि प्रोक्तैर्मन्त्रै सिद्धां विधानतः।
२ पंचदश सर्गः बालकाण्ड
यज्ञ के समाप्ती के बाद सगे शीरंग ने एक दवा तैयार कर राजा दशरथ को दी ओर कहा जाओ ओर इसे अपनी पत्नियो को देना|इससे तुम्हारी पुत्र प्राप्ती की इच्छा शीघ्र पूर्ण होगी|
भार्यानामनुरपाणामश्रीतेती प्रयच्छ वै
तासु त्वम् लप्य्स्यसे पुत्रान यदर्थं यजसे नृप।
२० बालकाण्डे षोडश सर्गः
बाल्मिक रामायण के इन कथनो से स्पष्ट है कि राजा दशरथ ने बहुत बडा यज्ञ किया था जिसमे दुनियाभर के राजाओ को अपने सगे संबंधियो के साथ आमंत्रित किया गया था| इस यज्ञ को ऋषि शिरिंग ने किया था|ओर तैयार की गई दवाई की सहायता से दशरथ की पुत्र प्राप्ती की इच्छा पूरी हुई थी|इन तर्को की रोशनी मे डा.अम्बेडकर की आधारहीन कहानी कही नही टिकती है|न तो रामायण अम्बेडकर के दावो का कोई समर्थन करता है ओर न ही अम्बेडकर ने कोई साक्ष्य दिए|अत: यह स्पष्ट है कि श्री राम की छवी गिराने के लिए अम्बेडकर ने यह आधारहीन कहानी लिखी थी|
आगे अपनी पुस्तक मे अम्बेडकर लिखते है कि बाल्मिक रामायण मे राम को विष्णु का अवतार बताया गया है|लेकिन ये मिलावटी छंद का होने से उसी प्रकार आधारहीन है जिस प्रकार बुध्द को विष्णु का अवतार बताया गया|लेकिन भागवत पुराण के प्रथम सकंद के तीसरे अध्याय मे बुध्द के विष्णु अवतार होने की घोषणा की गई है जिसे न तो बुध्द का अनुयायी मानता ओर न ही अम्बेडकरवादी स्वीकार करते वे मानते है कि ये बाद मे मिलाया गया है|
अम्बेडकर आगे कहते है कि बाल्मिक रामायण के अनुसार सीता का जन्म अप्राकृतिक रूप से हुआ था उसे एक किसान ने अपने खेतो मे पाया जब वो खेतो को जौत रहा था

उसने उस पुत्री को राजा जनक के सामने दिखाया ओर राजा जनक ने उसे ले लिया ओर उसको जनक की पुत्री कहा जाने लगा|
डा अम्बेडकर ने अपने इस दावे मे रामायण के मिलावटी छंदो का उपयोग किया ओर रामायण के उन छंदो की अनदेखी की जो जनक ओर उसकी पत्नी को सीता के माता पिता के रूप मे प्रस्तुत करते है|
स्वामी विद्यानंद जी लिखते है कि कैसे सीता को धरती से उत्पन्न कहा जा सकता है जबकि रामायण मे विभिन्न स्थानो मे सीता को जनक की"आत्मज" कहा ह(वर्धमानां मम आत्मजः।
बालकाण्ड ६६/१५ , जनकात्मजे (युद्ध ११/१८ ),
जनकात्मजा ( रघुवंश १३/७८ )
अपने शरीर से उत्पन्न के लिए आत्मजं का प्रयोग किया जाता है|
अपने वन के प्रवासकाल के दौरान अत्रि मुनि के आश्रम मे जानकी जी कहती है-प्राणी प्रदाने च यत्पुरा तवाग्नि सन्निधौ
अनुशिष्टम् जनन्या में वाक्यं तदपि में धृतम।
अयोध्या कांड ११८ /८-९
सीता जी कहती है कि मैरी माता जी ने मेरी शादी के समय मुझे सलाह दी जिसे मै भूल नही सकती हू|यह सब मैने अपने व्यवहार से प्राप्त किया|इस ब्यान मे शादी के समस सलाह का वर्णन है|धरती को सलाहकार कहा जा सकता है?ये पृथ्वी थी जो राम को सीता के साथ भेजते हुई रोयी?
तुलसीदास ने सुनन्या को उसकी मा के रूप मे संबोधित किया|
जनक वाम दिसि सोह सुनयना,
हिमगिरि संग बनी जिमी मैना।
रामचरितमानस ३५६/२
रामायण मे राम की शादी के समय राम जी के २२ पूर्वजो के नाम है इसी तरह सीता के २२ पूर्वज के नाम बताए है|यदि धरती को सीता की माता बुलाया गया है तो वो सीता की पूर्वज भी हो सकती है?
सीता का जमीन से बहार आना एक गपशप है जिसे अम्बेडकर ने अपनी पहेली मे उपयोग किया|
ये पुरी तरह निराधार है बाल्मिक रामायण इस दावे को कोई समर्थन नही देता है|ओर इस कहानी मे कोई आधार भी नही है|
आगे डा़.अम्बेडकर लिखते है कि बुध्द रामायण के अनुसार राम सीता की बहन थी ओर दोनो दशरथ से उत्पन्न हुए | डा. अम्बेडकर कहते है कि प्राचीन आर्यो मे भाई बहन के बीच शादी सम्बन्ध होते थे|
अपनी यह कल्पना डा.अम्बेडकर ने बुध्द रामायण से लिखी जबकि बाल्मिक रामायण ही ज्यादा प्रमाणिक ग्रंथ है बाकि के ग्रंथ बाल्मिक रामायण के काफी बाद लिखी गई है|
रामायण इस बात का समर्थन नही करती कि राम ओर सीता भाई बहन थे|
अपनी कल्पना के आधार पर डा.अम्बेडकर ने आर्यो मे भाई बहन की शादी का आधारहीन दाबा रखा|
यह लेख डा. अम्बेडकर की कुंचित मानसिकता का परिचय देता है-
देखिए मनुस्मृति मे शादी के नियमो के बारे मे क्या लिखा है-
"असपिण्डा च या मातुरगोत्रा च या पितुः
सा प्रशस्ता द्विजातीनां दारकर्मणि मैथुन"
एक लडकी को माता के ६ पीडियो ओर पिता के गोत्र मे शादी का निषेध है|
मनु३:५
मनु स्मृति जिसके नियमो को आर्य अनुसरण करते थे उस आधार पर क्या राम ओर सीता भाई बहन हो सकते है?

डा.अम्बेडकर आगे कहते है कि राम अकेले नही थे उसके साथ उसकी कई पत्निया ओर रखैले भी थी|
श्रीराम के कई पत्निया ओर रखैले थी इस आरोप पर डा. अम्बेडकर कोई उचित सन्दर्भ नही दे पाए|
इसके बाद अम्बेडकर ने रामजी पर आरोप लगाया कि राम ने सीता को उसकी गर्भावस्था मे त्याग दिया ओर शम्भूक का वध भी किया|
एक बार फिर अम्बेडकर ने मिलावटी छंदो पर भरोसा किया|वह रामायण की इस बात पर विचार करना भूल गया था कि बाल्मिक जी ने कहा था कि नारद जी ने उनहे सविस्तार रामायण का वर्णन सुनाया था|नारद जी ने जो रामायण बाल्मिक जी को सुनायी थी उसकी समाप्ती लंका युध्द पर हो जाती है|
इस तरह बैतुकी बातो से भरा उतराकांड बाल्मिक द्वारा नही हो सकता यह राम की छवि धूमिल करने के लिए बाद मे जोडा गया|
बालकांड के पहले सर्ग मे नारद जी कहते है-
नंदीग्रामे जटाम हित्वा भ्रातृभि सहितो नघ :
रामः सीतामनुप्राप्य राज्यम पुनर वाप्तवान्।
जंगल मे अपने कार्यकाल को पूरा करने के बाद श्री राम ने नंदी गाव मे अपने बाल कटवाए ओर अयोध्या मे रहने लगे|
स्वामी विद्यानंद सरस्वती जी लिखते है कि बालकांड के अनुसार बाल्मिक जी ने श्री राम जी के वापस अयोध्या आने तक का वर्तान्त ही सुना था|तो कोई कैसे कह सकता है कि राम ने सीता को गर्भावस्था मे त्यागा ओर शम्भूक की हत्या की,यह सभी कहानिया निराधारित है ओर मिलावट का एक हिस्सा है|
इन कहानियो का रामायण के बालकांड मे कोई संबोधन नही है|
तुलसीदास भी अपनी कहानी युध्दकांड पर पूरी करते है उसमे इन आधारहीन कहानियो की कोई चर्चा नही है|
इसी तरह महाभारत मे रामायण कथा का उल्लेख है जिसे रामोख्यान कहा गया मे भी युध्द कांड तक का वर्णन है|
ये सब कहानिया महाभारत मे भी नही है|
अतः महाभारत,रामचरित्रमानस ओर बाल्मिक रामायण के आधार पर हम निष्कर्ष निकाल सकते है कि डा. अम्बेडकर निराधार है ओर उनकी सारी बाते तर्क ओर तथ्यहीन है|
इन सारी बातो का रामायण कोई समर्थन नही करती है या फिर उनहोने जो लिखा वो मिलावटी छंदो के आधार पर लिखा जिस तरह बुध्द को विष्णु का अवतार कहा गया उसी तरह मिलावटी छंद भी जोडे गए|


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