Monday, January 13, 2014

इस्लामिक जिहादी टीपू सुलतान

क्या टीपू सुलतान देशभक्त था ???
मित्रो हमे पढाया जाता है कि टीपू सुलतान देशभक्त था ओर अंग्रेजो के खिलाफ वो लडा जिसमे उसने राकेट का भी प्रयोग किया था |
मित्रो ये बात सच है कि वो अंग्रेजो के विरूध्द लडा लेकिन वो भारत मे इस्लामिक शासन लाना चाहता था इस कारण वो अंग्रेजो से लडा |
अब हम कुछ प्रमाणो द्वारा सिध्द करेगे कि टीपू सुलतान देशभक्त नही था बल्कि एक जिहादी व्यक्ति था|
मालाबार मे मुस्लिम मोपला विद्रोह के समय उस क्षेत्र मे अल्पसंख्यक हिन्दुओ को तलवार और कुरान मे से किसी एक को स्वीकार करने को विवश किया गया था| अपनी जान बचाने के लिए ५००० हिन्दुओ ने इस्लाम कबूल किया | जिन्होने इंकार कर दिया उनहे तलवार से मौत के घाट उतार दिया| इस घटना को एक कांग्रेसी नेता हसरत मोहानी ने कहा था | यदि हिन्दुओ को तलवार ओर इस्लाम मे से किसी एक को चुनने को कहा गया था ओर उनहोने यदि इस्लाम को चुना तो यह तो स्वेच्छा से इस्लाम ग्रहण करना कहा जाएगा|(लिबरेटर २६-०८-१९२६ तथा एडवर्ड मार्टिमर:फेथ एंड पावर पृष्ठ १९६)
पूर्वोदधृत प्रो़० फजल अहमग की मुस्लिम बच्चो के लिए लिखी किताब"टीपू सुलतान " मे इसी प्रकार बलात धर्मान्तरण को खुशी खुशी इस्लाम ग्रहण करना बताकर टीपु सुलतान को एक प्रजावत्सल ओर पंथनिरपेक्ष शासन बताने का असफल प्रयास किया गया है|
कुर्ग के युध्द मे टीपु द्वारा बंदी बनाए गए हिन्दुओ के विषय मे प्रो. फजल ने लिखा है :" सब विद्रोहियो को अब इस्लाम ग्रहण करने को कहा गया|इस्लाम की खुबिया समझायी गई| कुछ देर सोचने के पश्चात् वे खुशी खुशी इस्लाम ग्रहण करने को तैयार हो गए ओर उनहे मुस्लमान बना लिया गया|
प्रो. फजल खूब जानते है कि इन हिन्दुओ युध्द बंदियो द्वारा इस्लाम ग्रहण करने से इंकार करना का अर्थ है क्रूरता पूर्वक मृत्यु दंड |इसलिए इसे खुशी खुशी इस्लाम ग्रहण करना हसरत मोहानी के स्वेच्छा से इस्लाम ग्रहण करने की भाति लज्जा जनक ओर हास्यापद है|
खेर इन विद्वानो की बातो पर अपने विचार प्रकट करने की जगह मै टीपू सुलतान की धर्मनिरपेक्षता आप सबके सामने लाता हू ओर उसका असली चेहरा दिखाता हू|
एच.डी. शर्मा की पुस्तक "द रियल टीपु सुलतान" प्रकाशक ऋषि पब्लिकेशन्स ७६-चन्द्रिका कालोनी ,वाराणसी से उध्दत सरदार पणिक्कर द्वारा इंडिया आफिस लंदन मे उपलब्ध टीपु के मूल पत्रो से टीपु की क्रूरता स्पष्ट हो जाती है|
१. २२ मार्च १७८८ को टीपु द्वारा अब्दुल कादिर को लिखे गए पत्र मे '१२०० से अधिक हिन्दुओ को मुस्लमान बना लिया गया है| उनके अनेक नम्बुदरी पंडित है इस समाचार का हिन्दुओ मे खूब प्रचार किया जाए| स्थानिय हिन्दु तुम्हारे सामने पेश किए जाए ओर तब तुम उनहे मुस्लिम बना लिया जाए| किसी भी नम्बूद्री को छोडा न जाए ओर उनहे उस समय तक रखा जाए जब तक की उनके लिए बनवाए गए (मुस्लिम) वस्त्र तुम्हारे पास न पहुच जाए|१४ दिसंबर १७८८ को टीपु द्वारा कालीकट स्थित अपनी सेना के कंमाडर को: ''' मीर हसन अली के साथ अपने दो अनुचरो को भेज रहा हू| उनके साथ जाकर तुम तमाम हिन्दुओ को पकडकर मार डालो| जो२० वर्ष की आयु से कम हो उनहे कारागार मे बंद कर दो ओर शेष मे से ५००० को पेडो पर लटका कर मार डालो| यह मेरा आदेश है|
२. २१ दिसंबर १७८८ को टीपु द्वारा शेख कुतुब को लिखे पत्र से:
                        तुम्हारे पास २४२ नायर बंदियो को मुस्लिम बनाने के लिए भेजा जा रहा है | उनको इस्लाम मे धर्मान्तरित कर उनकी सामाजिक ओर आर्थिक स्थिति के अनुसार फहरिस्त बनाई जाए जिससे इसी के अनुसार इनहे पारितोषिक आदि दिए जा सके उन सभी स्त्री पुरूषो को समुचित कपडा पहनने को दिया जाए|
३. १८ जनवरी १७९० को टीपु का सैयद अब्दुल दुलाई को लिखे गए पत्र से:-
               पैगम्बर मौहम्मद और अल्लाह की कृपा से कालीकट के सभी हिन्दु मुस्लिम बनाए जा चुके है,कोचिन राज्य की सीमाओ पर कुछ हिन्दु रह गए है जिनहे शीघ्र ही मुस्लमान बनानो का मेरा दृढ संकल्प है इस ध्येय की प्राप्ती के लिए मैने जिहाद छेडा है|
४ .१८ जनवरी १७९० को टीपु द्वारा बद्रुस्सन खा को लिखे गए पत्र से:
                  क्या तम्हे मालूम नही कि हाल ही मे मालाबार मे मैने ४ लाख हिन्दुओ को मुस्लमान बनाया है| अब उस शप्त राजा रमन नायर पर शीघ्र आक्रमण करने का संकल्प है| इस विचार से कि शीघ्र ही वह ओर उसकी प्रजा मुस्लिम बन जाए|
५ प्रत्यक्षदर्शी द्वारा वर्णन-
         टीपु द्वारा इस्लाम के प्रचार के लिए की जा रही नृशंसताओ का आंखो देखा हाल तत्कालीन पुर्तगाली यात्री ओर इतिहासकार फी बार्तोलोमाको ने लेखनी बध्द किया है उसने मालाबार मे १७९० मे जो दृश्य देखे उसका वर्णन इस प्रकार किया है-''' पहल् ३०००० मुस्लिम सेना आयी उसके पीछे फ्रेंच कंमाडर एम. लैली का तोपखाना था| टीपू हाथी पर सवार था | कालीकट के अधिकांश स्त्री पुरूषो को फांसी पर लटका दिया| उस नृशंस हत्यारे टीपू ने हिन्दु ओर इसाईयो को हाथी के पैरो से बंधवाकर इतना घसीटवाया कि उन लाचार लोगो के शरीर चिथडे चिथडे हो गए| हिन्दु मन्दिरो ओर गिरजाघरो को अपवित्र किया गया ,जलाया गया ओर फिर खुदवा दिया गया|……………
उपरोक्त तथ्य मैने उन लोगो से इकट्ठे किए है दो टीपु की सेना से किसी प्रकार बचकर भागने मे ओर वरापुझा पहुचने मे सफल हो पाए| यह स्थान कार माईकल क्रिश्चियन मिशन का केन्द्र है| मैने स्वंय बहुत से लोगो की वारझुपा पहुचने मे मदद की|
परन्तु जब इस सैनिक को लगा कि उसकी पराजय अंग्रेजी सेनाओ द्वारा निश्चित है तो उसने बचे खुचे हिन्दु मन्दिरो को ओर उनके पुजारियो को दान देकर अपने लिए हिन्दु देवताओ से प्रार्थना करने की याचना की|
इन मुस्लिम आक्रमणकारियो ,शासको,और अधिकारियो ने भारत के इस्लामीकरण के ध्योय को प्राप्त करने के लिए १००० वर्षो मे जो इतिहास रचा उसके विषय मे विल ड्यूरेट ने अपनी पुस्तक " हिस्ट्री आफ सिविलाइजेशन" मे लिखा है कि: विश्व के इतिहास की अत्यधिक रक्त रंजित गाथा इस्लाम शासनकाल की है उसके फलस्वरूप शाहजहा का काल आते आते हिन्दुओ की दशा क्या हो गई थी उसका वर्णन करते हुए शेख अब्दुर्रहमान लिखते है कि " अग्नि पूजक ओर हिन्दु इतने भ़यभीत रहते थे कि सडको ओर बाजारो मे खुलेआम गौवध होने पर भी कोई बोल नही सकता था| इस्लाम इतना शक्तिशाली हो गया कि हिन्दु खुशी खुशी अपनी बेटिया बादशाह ओर अमीरो को दे देते है|

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