Saturday, January 18, 2014

चुंबकीय उत्तोलन और हिंदू मंदिर (Magnetic levitation and Hindu Temples)


आपने जेकी चेन की The Myth नाम
की फिल्म
तो देखि ही होगी ??
नहीं तो जरुर देखे ,उसमे जेकी चेन एक
पुरातत्व विद था जो भारत में एक मंदिर में आता है ।
उस मंदिर में साधू उड़ पा रहे थे क्युकी 2 काले जादुई
पत्थर के कारण ।
यह कल्पना नहीं पर सत्य है ,पर साधू के बजाये
मुर्तिया हवा में तैरती थी ।
चुम्बक का उल्लेख हिंदू ग्रंथ में
मणिगमनं सूच्यभिसर्पण मित्यदृष्ट कारणं कम्||
वैशेषिक दर्शन ५/१/१५||
अर्थात् तृणो का मणि की ओर चलना ओर सुई
का चुम्बक की ओर चलना,अदृश्य कर्षण
शक्ति के कारण है । सोत्र
यह कणाद मुनि के ग्रंथ वैशेषिक दर्शन है ,कणाद मुनि 600
ईसापूर्व के थे यानि गौतम बुद्ध के समय का ।
चुंबकीय उत्तोलन या Magnetic Levitation
का अर्थ होता है चुंबकीय बल के सहारे तैरना ।
हर चुंबक के 2 ध्रुव होते है उत्तर और दक्षिण
चुंबक का नियम होता है की विपरीत ध्रुव
एक दुसरे को आकर्षित करते है और समान ध्रुव एक दुसरे
को धकेलते है ।
उधारण :
उत्तर ध्रुव दक्षिण ध्रुव को या दक्षिण ध्रुव उत्तर ध्रुव
को आकर्षित करता है
पर
उत्तर ध्रुव उत्तर ध्रुव को या दक्षिण ध्रुव दक्षिण ध्रुव
को धकेलता है ।
यही नियम बुलेट ट्रेन में काम आता है ।
2 समान ध्रुव एक दुसरे को धकेलते है जिससे इतना बल
पैदा होता है की ट्रेन आगे बड़े ।
इसी का उपयोग हिंदुओ ने अपने मंदिरों में किया ।
मुझे 4 हिंदू मंदिरो का विवरण मिला है जिसमे चुंबकीय
उत्तोलन का उपयोग हुआ था ।
सोमनाथ मंदिर (600 इसवी )
गुजरात में स्थित सोमनाथ मंदिर को गुजरात के यादव राजाओ ने
बनाया था 600 इसवी में ।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंगो में से एक है ।
कई मुस्लमान राजाओ ने इसको तोडा और इसमें स्थित शिव लिंग
भी तोड़ दिया ।
स्थानीय लेखो के अनुसार सोमनाथ मंदिर का शिव लिंग
हवा में तैरता था ।
हिंदुओ के अलावा मुसलमानों ने भी इसका वर्णन किया ।
क्वाज़िनी अल ज़कारिया सन 1300
इसवी में भारत में आया था ,वे
फारसी लेखक थे और दुनिया के अजीब
अजीब वस्तुओ पर लिखते थे ।
सोमनाथ के शिवलिंग पर क्वाज़िनी लिखते है :-
"सोमनाथ मंदिर के बिच में सोमनाथ
की मूर्ति थी ,वह हवा में तैर
रही थी ,उसे न ऊपर से सहारा था न
नीचे से ।स्थानीय
ही क्या मुस्लमान भी आश्चर्य करेगा ।"
इस विवरण से पुष्टि हो गई है की सोमनाथ मंदिर में
शिव लिंग हवा में तैरता था ।
कुछ विद्वानों अनुसार यह आँखों का धोका था ।
सम्राट ललितादित्य मुक्तापिद का विष्णु मंदिर (700
इसवी )
सम्राट ललितादित्य कश्मीर के महान राजा थे जिन्होंने
अरब और तिब्बत के हमले को रोक और कन्नौज पर राज
किया जो उस समय भारत का केंद्र माना जाता था ।
स्त्री राज्य जो असम में
ही कही स्थित था उसे
जीतने के बाद सम्राट ललितादित्य ने
स्त्री राज्य में ही विष्णु मंदिर
की स्थापना की थी ।
विवरणों के अनुसार उस मंदिर में स्थित विष्णु
जी की मूर्ति हवा में
तैरती थी ।
इस मंदिर
की सही स्थिति नहीं पता
और इसके अवशेष अभी तक नहीं मिले

विद्वानों के अनुसार जिस कदर मुसलमानों ने ललितादित्य का सूर्य मंदिर
तोड़ दिया था ठीक वैसे ही इस मंदिर
को भी तोड़ा गया था ।
वज्रवराही का मंदिर (800 इसवी )
यह मंदिर है तो बोद्ध पर हिंदू
देवी वराही को समर्पित है ।
यह मंदिर भूटान में Chumphu nye में स्थित है ,इस मंदिर के
भीतर फोटो लेने
की मनाही है इसीलिए
वराही देवी की हवा में तैरते
हुए फोटो नहीं ।
कई प्रत्यक्षदर्शी मंदिर में जा चुके है और उनके
अनुसार
वराही देवी की मूर्ति और
थल के बिच 1 ऊँगली भर जगह है और
मूर्ति बिना सपोर्ट के हवा में है ।
स्थानीय लोगो के अनुसार वह मूर्ति मनुष्य निर्मित
नहीं बल्कि प्रकट हुई है ।
कुछ विद्वानों के अनुसार वह मूर्ति चुंबक के कारण हवा में तैर
पा रही है ।
क्युकी भूटान और तिब्बत का बोद्ध धर्म बुद्ध के
उपदेशो पे कम और हिंदू उपदेशो पर ज्यादा है
इसीलिए मंदिर बनाने का यह ज्ञान हिंदुओ से बोद्ध
भिक्षुओ को मिला ।
यही एक बची हुई
ऐसी मूर्ति है जो सिद्ध करती है
की हिंदू मंदिरों में मुर्तिया हवा में
तैरती थी ।
कोणार्क का सूर्य मंदिर (1300 इसवी )
इसा के 1300 वर्ष बाद उड़ीसा में
पूर्वी गंग राजाओ ने कोणार्क का सूर्य मंदिर
बनवाया था ।
स्थानीय कथाओ के अनुसार कोणार्क के सूर्य मंदिर में
सूर्य देव की जो मूर्ति थी वह हवा में
तैरती थी ।
पुरातात्विक विश्लेषण से पता चला है की मंदिर
का मुख्य भाग चुंबक से बना था जो गिर गया था ।
कम से कम 52 टन चुंबक मिलने की बात
कही जाती है ।
उसी चुंबक वाले भाग में वह
मूर्ति थी ,यह सबसे अच्छा साबुत है हिंदू मंदिरों में
चुंबकीय उत्तोलन का क्युकी इस मंदिर में
चुंबक मिला है ।
मूर्ति को हवा में उठाने के साथ चुंबक का एक और उपयोग
था यानि चुंबकीय चिकित्सा ।
चुंबकीय चिकित्सा का अर्थ है चुंबक
की उर्जा से इलाज करना ।
कोणार्क के सूर्य मंदिर का बहोत सा ढाचा गिर गया था जिसमे वह
चुंबक से बना भाग भी था ।
भारत में चुंबक का उल्लेख 600 ईसापूर्व से
मिलता है ,मुसलमानों के साथ साथ पुरातात्विक सबूत
भी हिंदू मंदिरों में चुंबकीय उत्तोलन के
सबूत देते है ।
(नीचे फोटो में गणेश
जी की मूर्ति हवा में तैर
पा रही है चुंबकीय बल के कारण )
जय माँ भारती
स्रोत: http://prachinsabyata.blogspot.in/2014/01/magnetic-levitation-and-hindu-temples.html?m=1

2 comments:

  1. महान खोज के लिए साधुबाद।
    शास्त्रों में विमान बनाने की खोज पर भी प्रकाश डालिये।

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  2. ji avshya ..
    aap chahe to scribed andorid apps download kr vraht viman shastra svaym bhi pd skte h...

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