Monday, August 18, 2014

हनुमान पुत्र मकरध्वज

काफी जगह सुना ओर पढ़ा की हनुमान जी के एक पुत्र था मकरध्वज ..जो की लंका जलाते समय हनुमान जी के पसीने का समुन्द्र में गिरा ओर उसे एक मछली ने पी लिया जिससे उसके पेट में मकरध्वज का जन्म हुआ ..इस कथा की बात पूर्णतया बुधि विरुद्ध ओर विज्ञान विरुद्ध है |

लेकिन आखिर एक ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र के रूप में मकरध्वज का ही नाम क्यूँ आया ?
आखिर हनुमान जी को मकरध्वज का पिता क्यूँ कहा गया इस कल्पना का क्या आधार है ?
इन सब के पीछे का रहस्य यह है कि आखिर ये हनुमान जी वाली कल्पना आई कहा से :
असल में कामदेव को ही मकरध्वज कहते है :
जिसका प्रमाण भर्तहरी शतक के श्रृंगार शतक के १ श्लोक में दिया है :-जिसमे भर्तहरी काम देव को नमस्कार करते है :
"शम्भुस्वयम्भुहरयो हरिणेक्षणाना येनाकियन्त सततं गृहकुम्भदासा:|
वाचामगोचार-चरित-विचित्रिताय तस्मै नमो: भगवते मकरध्वजाय ||१||"
अर्थात शिव,ब्रह्मा,ओर विष्णु जैसे देवताओ को भी जिसने मृगनेनियो का दास बना कर उनसे गृहकार्य तक सम्पन्न कराया,ऐसे चरित्रों में विचित्र मालुम पडनेवाले भगवान मकरध्वज कामदेव को शतशत प्रणाम है|
यह भर्तहरी कामदेव (काम ) प्रसन्नता करते हुए स्पष्ट करते है कि काम के प्रभाव से अच्छे अच्छे नही बचे है |
लेकिन हनुमान जी का जो वर्णन रामायण ओर रामचरितमानस में है उसके अनुसार उन्होंने संयमित जीवन ओर ब्रह्मचर्य का कठोर पालन किया अर्थात काम उनके ऊपर हावी नही हो पाया|
अक्सर बोलचाल की भाषा में हम सुनते है कि ये व्यक्ति रजनीकांत का बाप है ,ब्रोक लेस्नर अंडरटेकर का बाप है यहाँ इसका तात्पर्य यह है की रजनीकांत कितना ही बड़ा एक्शन स्टार हो लेकिन उस व्यक्ति के आगे उसकी एक न चलेगी | अंडरटेकर कितना ही बड़ा पहलवान हो लेकिन ब्रोक के आगे एक न चेलगी मतलब उसका उस पर बस नही |
इस तरह काम के प्रभाव में कई साधक ,ऋषि आ गये लेकिन हनुमान जी पर काम का एक भी प्रभाव नही हुआ | अर्थात वै कामवासना जेसी बुरी प्रवृति में नही फसे |
इसी से उन्हें मकरध्वज अर्थात कामदेव का पिता कहा जाने लगा होगा|
जिसे कुछ लोगो ने इस तरह की काल्पनिक कथा से प्रचारित कर दिया |अर्थात यहाँ आशय यही है कि  हनुमान जी ने काम को अपने अधीन किया जैसे पिता पुत्र को अधीन करता है| इसी आधार पर उन्हें मकरध्वज के पिता की उपाधि दी हुई होगी या मकरध्वज का पिता बुलाया जाता होगा ....
कुछ अन्य लोगो के उदहारण :-
जैन तीरंथकर भगवान आदिनाथ के पुत्र को आदिनाथ पुराण में बाहुबली का पिता कहा है तथा बाहूबली को काम देव कहा है चुकि जैन तीर्थंकरो को जिनेन्द्र भी कहते है क्यूंकि इन्होने इन्द्रियों को वश में किया काम को जीता शायद इसी कारण इन्हें भी कामदेव का पिता कहा गया हो ओर इनके पुत्र बाहुबली को कामदेव नाम से प्रचारित इस पुराण ने कर दिया |
इसी तरह कृष्ण जी के पुत्र प्रद्युमन को भी कामदेव के अवतार या पुनर्जन्म से प्रचारित किया जाता है ..चुकि योगिराज श्री कृष्ण ने अपने योग रूपी दिनचर्या व व्यवहार से इस काम को पराजित कर दिया था जिसका एक वर्णन महाभारत में भी है की किस तरह श्री कृष्ण ने विवाह के उपरांत भी वन में १२ वर्ष का कठोर संयम ओर तप किया |
इस कारण इन्हें भी काम का पिता कहा तथा इनके पुत्र को पुराणों के कथा कारो ने कामदेव के अवतार ,पुनर्जन्म से प्रचारित कर दिया |
इस प्रकार हम देखते है की किस तरह महापुरुषो के गुणों को पुराणकार ने मनगंत कहानियो का रूप दे दिया |