Thursday, January 16, 2014

प्राचीन काल मे लोक गमन(space jourey in acient time)

मित्रो आपने हिस्ट्री टीवी के एक प्रोग्राम "एसियन्ट एलियन" मे यह देखा होगा कि एलियन पृथ्वी पर विमान से आया करते थे|
लेकिन क्या हमारे पूर्वज भी विमान द्वारा दूसरे ग्रहो पर जाया करते थे|
इस बारे मे कि हमारे पूर्वज अंतरिक्ष मे गमनागमन करते थे इसका उल्लेख हमारे प्राचीन संस्कृत ग्रंथो मे है-
ब्रह्माण्डपुराण के छठे अध्याय का निम्न उल्लेख देखे-
"चतुर्युगसहस्त्रान्ते.......................दधिरे मन:|(नोट:-पूरा श्लोक चित्र १ मे देखे)
इसका अर्थ है" सहस्त्र चतुर्युग के अन्त मे,मन्वन्तरो का अन्त हो गया,कल्पनाश का समय आ गया,दहकाल आ गया अत: उदास,निराश ओर विवश होकर जिन देवो के पास विमान(अंतरिक्षयान) थे वे उनमे सवार हो कर महलोक मे बसने चले गए|"
इसी तरह अन्य जगह भी दूसरे ग्रह पर जा कर बसने का उल्लेख आया है-
त्रीणिकोटि शतान्यासन्.....
......वैमानिका: स्मृता:|(चित्र क्रमांक २ मे पूरा श्लोक देखे)
अर्थात् तीन अरब ब्यान्नवे करोड बहत्तर सहस्त्र वैमानिक देवगणो के (इस उल्लेख से यह न समझे कि प्रत्येक देव का एक एक स्वतंत्र विमान था)इतने सारे व्यक्ति विभिन्न विमानो द्वारा अन्य प्रस्थान कराए गए थे|
हालाकि इस संख्या तीन अरब पर विश्वास नही कर सकते लेकिन इस वर्णन से यह तो स्पष्ट होता है कि कभी हमारे पूर्वज अंतरिक्ष गमन कर गए थे|
यहा प्रश्न यह उठता है क्या आज से कई हजारो लाखो वर्ष पूर्व अंतरिक्ष मे किसी ग्रह पर हमारे पूर्वजो द्वारा बसाई दुनिया है इस बारे मे अनुसंधान होने चाहिए|
ये बात बिलकुल इस तरह है जैसे कुछ साल पहले प्रलय की अपवाह सुन अमेरिका ,जापान ,जर्मनी सहित विभिन्न देशो के कुछ वैज्ञानिको ने ऐसे विमान बना लिए थे जिसमे वे प्रलय के समय सुरक्षित रहे ओर उचित जगह बस सके तो क्या वैसे विमान देवताओ ने पहले विकसित कर लिए थे|
इसी तरह की कई रहस्यमयी बाते है जिनकी रहस्यमयी पहेलिया अभी हल होनी बाकि है|
इसी तरह मनु की नाव का उल्लेख मत्स्यादि पुराणो मे आता है जिसमे वे प्रलयकाल मे सुरक्षित रहे थे इस कथन से भी एक उच्च तकनीकि नौका विज्ञान का उल्लेख नजर आता है|
बस कमी है इन सब पर गहन शौध ओर अनुसंधान की.....

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