Thursday, September 25, 2014

सर्वश्रेष्ट कौन ?(उपनिषद कथा )

एक बार प्राण और इन्द्रियों में झगड़ा हुआ |कि सबसे श्रेष्ट कौन है इसलिए समस्त इन्द्रिय और प्राण प्रजापति के पास गये |
और इन्द्रियों में वाणी ,नेत्र ,श्रोत ,इत्याद्दी ने यह दावा किया की हम सबसे श्रेष्ट है |प्राण ने भी ऐसा ही कहा ,तो झगड़े का निपटारा करने के लिए प्रजापति ने उत्तर दिया ....
"यस्मिन व उत्कान्ते शरीर पापिष्ठतरमिव दृश्यते स व: श्रेष्ट इति|| छान्दोग्य ५/१/७ ||
अर्थात तुमे से जिसके निकल जाने पर शरीर बहुत बुरा से दिखे वो सबसे श्रेष्ट है |
इस फैसले को सुनते ही शरीर से वाणी निकल गयी ,शरीर गूंगे की तरह जीवित रहा | नेत्र चले गये शरीर अंधे की तरह जीवित रहा ,श्रोत चले गये शरीर बहरे की भांति स्थिर रहा ,,मन चला गया शरीर मूढ़ ,शिशुवत स्थिर रहा ,परन्तु जब प्राण जाने लगे तो सारा शरीर मृतवत होने लगा | तब सारी इन्द्रियों ने एक स्वर में प्राण से कहा :-
" भगवन्नेधि ,त्व न: श्रेष्ठोसि , मोत्कमीरिति|| छान्दोग्य५/१/१२ ||
भगवान ! तुम ही हमारे स्वामी ,तुम ही हमसे श्रेष्ट हो ,बाहर मत निकलो |"
अत: स्पष्ट है कि प्राण के ही आश्रय पर सारी इन्द्रिय ,मन है | उसी के अधीन है ,,,यदि हमे अपनी इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करना है तो प्राण का अनुष्टान प्राणायाम करना चाहिए |   

Saturday, September 13, 2014

रविवार का ही अवकाश क्यूँ होता है ?


मित्रो अधिकतर देखते हैं सब तरह की संस्थानों का सप्ताह में एक दिन आराम करने का मिलता है ..चाहे विद्यालय हो या बैंक ,डाक ,कॉलेज ,कुछ कुछ सरकारी अस्पतालों में आदि में अवकाश रहता है ,लेकिन सप्ताह के ७ दिनों में ये अवकाश केवल रविवार को ही क्यूँ ?
अन्य दिन सोम ,मंगल आदि को छोड़ रविवार को ही क्यूँ ?
असल में इसका सम्बन्ध ईसाई मत ओर ईसाई पुस्तक बाइबिल से है ...
क्यूँ कि अंग्रेजो ने हमारे देश पर राज किया ओर जब से ही यह प्रथा भारत में है भारत ही नही अंग्रेजो के अन्य गुलामो में भी यही प्रथा है क्यूंकि बाइबिल में आया है :- "रविवार के दिन काम करने वाला मार डाला जाय ,छ: दिन काम किया जाय,पर सातवे दिन पवित्र और यहोवा के लिए विश्राम ठहरे ,उसमे जो कोई काम काज करे वह मार डाला जाय "( निर्मगन ३५-२ exodus ३५.२ )
यहाँ स्पष्ट रविवार का मना है ...यही कारण है कि रविवार का अवकाश रखा जाता है | हम भी उन्ही के यहोवा के लिए अपने काम से अवकाश लेते है | यह भी गुलामी का एक प्रतीक है जेसे जन गन मन .....