Tuesday, July 28, 2015

क्या श्री कृष्ण ने रुकमनी का अपहरण कर विवाह किया था ?

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पुराण ,महाभारत आदि ग्रन्थ इस बात को कहते है कि रुकमनी का अपहरण श्री कृष्ण ने किया ओर विवाह किया था | लेकिन अपहरण कर विवाह करणा मनु के अनुसार राक्षसी विवाह के अंतर्गत आता है जो वेद विरुद्ध ओर निकृष्ट कोटि का है | तो क्या धर्मात्मा श्री कृष्ण ऐसा कर्म कर सकते है ? इसका उत्तर यही है श्री कृष्ण जो वैदिक पद्धति अनुसार जीवन निर्वाह करते थे | संध्या आदि पंच महायज्ञ जो मनु प्रोक्त है में बिलकुल भी ढीलाई नही देते थे | तो वो मनु के विवाह सम्बन्धी उपदेशो की अवेहलना कैसे कर सकते है ? वास्तव में महाभारत में उतरोत्तर बहुत परिवर्तन हुए है कई श्लोक निकले गये है कई कल्पित जोड़े गये है इससे सत्य इतिहास पता लगाने में बाधा होती है | (इस विषय में फिर कभी पोस्ट करेंगे ) लेकिन हमे शंकरदिग्विजय पढ़ते समय निम्न श्लोक श्री कृष्ण जी पर मिला –
“ नैव नियन्तुमनघे तव शक्यमेतत 
तां रुक्मणी यदुकुलाय कुशस्थलीशे |
प्रादात स भीष्मकनृप: खलु कुण्डीनेश 
-स्तीर्थापदेशमटते त्वपरीक्षिताय || ३/३४ ||”
अर्थ – कन्या के पिता विष्णुमित्र ने कहा – अनघे ! तुम ऐसा नियम नही कर सकती हो | क्या कुण्डीनपुर के स्वामी राजा भीष्मक ने तीर्थ के बहाने पहुचने वाले कुशस्थली (द्वारका ) के स्वामी यदुवंशी भगवान कृष्ण को अपनी पुत्री रुक्मणी को नही प्रदान किया ? किन्तु महाराज भीष्मक को कृष्ण के न कुल का पता था ओर न शील का |
इस कथन से स्पष्ट है कि माधवाचार्य या शंकराचार्य तक रुकमनी के भगाने की जगह श्री कृष्ण का राजा भीष्मक ने स्वयम रुक्मणी के साथ विवाह करवाना ही प्रसिद्ध था | बाद में इसे भगाने का रूपान्तरण कर दिया | जिसका पालन कुछ राजपूत राजाओं ने भी किया | 
(ये ऐतिहासिक बात है जिसपर कोई भी पक्ष पूर्ण अंतिम सत्य होने का दावा नही कर सकते | मै भी इस सिद्धांत को अंतिम सत्य नही मानता लेकिन सैधांतिक रूप से ओर श्री कृष्ण जी की धर्मनिष्ठा से इस तथ्य से अन्य व्रतांत (महाभारत ,पुराण आदि ) की तुलना में अधिक सहमत हु |)

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