Wednesday, July 15, 2015

अन्य लोको पर प्राणी (एलियन )

एलियन आज कल समस्त प्रथ्वी के मानव के लिए एक आकर्षण का विषय है हर कोई अपनी अपनी परिकल्पना के अनुसार एलियन के अस्तित्व पर विचार करता है | हमारे शास्त्रों में एलिय्नो के स्पष्ट प्रमाण है उनके शरीर आदि के बारे में भी है जिसे आज का विज्ञान भी मान रहा है | स्वामी दयानंद सरस्वती ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में अन्य लोको पर प्राणियों के अस्तित्व का उलेख किया है ऐसा उन्होंने अपने स्वयम के मत से नही बल्कि शतपत आदि ग्रंथो के प्रमाण से कहा है – “ एतेषु हीद सर्व वसु हितमेते हीद सर्व वास्यन्ते तद्यदिद सर्व वास्यनते तस्माद्वसव इति “ – शत.का. १४/६/६/४ 
पृथ्वी ,जल ,अग्नि ,वायु ,आकाश ,चन्द्र ,नक्षत्र ओर सूर्य इनका वसु नाम इसलिए है कि इन्ही में सब पदार्थ ओर प्रजा वसती है ओर ये ही सबको व्साते है |
हालकी कुछ लोग सूर्य पर प्राणी होने की बात पर शंका करते है | लेकिन जेसा की हम जानते है कि हिन्दू दर्शन के अनुसार शरीर पंच भूतो से बना होता है प्रथ्वी ,जल ,अग्नि ,वायु ,आकाश से..इन पांच तत्वों में कोई न कोई तत्व प्रधान रूप से शरीर के निर्माण में होता है हम प्रथ्वी वासियों में प्रथ्वी तत्व की प्रधानता होती है अन्य तत्व अत्यन्ताभाव रूप या उनकी प्रधानता कम होती है | तो इससे एक सम्भावना भी होती है कि सूर्य आदि कुछ लोको पर वायु शरीर या अग्नि तत्व प्रधान शरीर हो सकते है| अन्य लोको पर जीवन की पुष्टि न्याय दर्शन के (३/१/२८ ) सूत्र के ऋषि वात्सायन द्वरा किये हुए भाष्य से होती है |(जिसे चित्र में देख सकते है ) इसमें स्पष्टतय: अग्नि ओर वायु प्रधान शरीर के अस्तित्व को दर्शाया है | ओर वायु ओर अग्नि प्रधान शरीर आसानी से सूर्य पर अपना जीवन निर्वाह कर सकते है | ऐसे शास्त्रीय प्रमाण होने पर शास्त्रों को मानने वालो को इस विषय पर शंका नही करनी चाहिए | 
हम लोगो में यह कमजोरी या अंग्रेजी मानसिक गुलामी का प्रभाव है की यदि यह बात जब तक कोई फिरंगी वैज्ञानिक जेसे स्टीफेन हाव्किंग आदि न कहे तो हम उसे मानते नही है | चाहे हमारे ग्रंथो नया ऋषि मह्रिषी इस बात को पहले से ही कह चुके हो .. लगभग यही बात की वायु शरीर प्रधान प्राणी होते है महान वैज्ञानिक स्टीफेन हाव्किंग ने डिस्कवरी चेनल पर शुक्रवार दिनाक ०९/७/२०१० में कहा है उन्होंने जो बातें कही वो इस प्रकार है –
(१) जल के अभाव में -१९६ डिग्री तापमान पर प्राणी तरल नाइट्रोजन पर जीवन निर्वाह कर सकते है | यहा इस वैज्ञानिक ने यह स्पष्ट किया की जल के बिना भी जीवन निर्वाह हो सकता है | यदि किसी ग्रह पर जल नही है तो उस ग्रह की अन्य व्यवस्था से वह प्राणी जीवन निर्वाह करता होगा |
(२) परग्रह वासी गेस के बने हो सकते है ओर वे बिजली से ऊर्जा प्राप्त करते है |
-(यहा स्पष्टय हाव्किंग ने वही कल्पना दी है जो की मह्रिषी वात्सायन ने दी वायु प्रधान शरीर की )
इस तरह हमारे ग्रंथो में ही परग्रह वासियों के बारे में काफी गूढ़ जानकारिय है | यदि ओर शोध हो तो अन्य ऐसी जानकारिय भी मिल सकती है जो विज्ञान के पास भी उपलब्ध न हो | प्राचीन काल में आर्यावर्त वासियों के लोक लोकान्तर में गमन का उलेख भी महाभारत आदि में मिलता है | पुराण में ब्रह्मांड पुराण में प्रथ्वी वासी देवो का अपने अपने विमान में बैठ अन्य ग्रहों पर जाने के उलेख है जो निम्न लिंक (*http://bharatiyasans.blogspot.in/2014/01/space-jourey-in-acient-time.html*) में देखे | इसका कुछ सार यहा भी लिख देते है – (*ब्रह्माण्डपुराण के छठे अध्याय का निम्न उल्लेख देखे-
"चतुर्युगसहस्त्रान्ते.......................दधिरे मन:|
इसका अर्थ है" सहस्त्र चतुर्युग के अन्त मे,मन्वन्तरो का अन्त हो गया,कल्पनाश का समय आ गया,दहकाल आ गया अत: उदास,निराश ओर विवश होकर जिन देवो के पास विमान(अंतरिक्षयान) थे वे उनमे सवार हो कर महलोक मे बसने चले गए|"
इसी तरह अन्य जगह भी दूसरे ग्रह पर जा कर बसने का उल्लेख आया है-
त्रीणिकोटि शतान्यासन्.....
......वैमानिका: स्मृता:|
अर्थात् तीन अरब ब्यान्नवे करोड बहत्तर सहस्त्र वैमानिक देवगणो के (इस उल्लेख से यह न समझे कि प्रत्येक देव का एक एक स्वतंत्र विमान था)इतने सारे व्यक्ति विभिन्न विमानो द्वारा अन्य प्रस्थान कराए गए थे|
हालाकि इस संख्या तीन अरब पर विश्वास नही कर सकते लेकिन इस वर्णन से यह तो स्पष्ट होता है कि कभी हमारे पूर्वज अंतरिक्ष गमन कर गए थे|*)
इतना ही नही अनार्ष ग्रन्थ जो अन्य मतो के है उनमे भी एलियनो के बारे में है अल्लाह , हुर ,फरिश्ते,जिन ये सब दुसरे लोक के निवासी ही है ऐसे प्रमाण इनके मत ग्रन्थ ही देते है | कुरान भी अग्नि शरीर प्रधान वाले जीवो ओर प्रथ्वी वासियों के प्रथ्वी शरीर प्रधान का सबूत कुछ अलग अंदाज़ में देती है – सूरतु साद ३८ पारा २३ आयत ७६ में आया है कि मानव को अल्लाह ने मिटटी से बनाया ओर शेतान (जो की एक जिन्नाद ) था को आग से बनाया है | यदि यहा मिटटी मतलब प्रथ्वी तत्व प्रधान ओर आग मतलब अग्नि तत्व प्रधान शरीर माने तो कुरान भी मह्रिषी वात्सायन ओर दयानंद जी की तरह अन्य लोक में प्राणियों की पुष्टि करती है ओर साथ ही इस बात की पुष्टि भी करती है की अग्नि आदि तत्वों के शरीर होते है | 
बाकि मै अपने अन्य आर्य(श्रेष्ट ) मित्रो से अनुरोध करूंगा की वो इस सन्धर्भ में महाभारत ,दर्शन ,पुराण ,रामायण,ब्राह्मणआदि इतिहासओर दार्शनिक ग्रंथो से अन्य लोको में प्राणियों के प्रमाण ओर उनकी संरचना आदि के विज्ञान को खोज कर इस लेख में ओर संकलित करने का प्रयास करे |

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