Saturday, April 25, 2020

पारसी राजा महाराज डेरियस - ग्रीक, धारयद्वसु: - संस्कृत(धार्यवहु - मूल पारसी) की वंशावली...

महाराज डेरियस ने लगभग 500 ईसापूर्व अपने अभिलेख Persepois
Βιston आदि अनेकों जगह प्राचीन पारसी भाषा में कीलाक्षर लिपि में लिखवाये थे.. इन अभिलेखों की भाषा जिसे प्राचीन पारसी या गाथिक (अवेस्तन) कहते हैं वो संस्कृत भाषा के अत्यंत निकट है.. ये संस्कृत, प्राकृत, पारसी एक ही भाषा परिवार है... इन अभिलेखों में दो अभिलेखों के मूल रोमन रुप और संस्कृत अनुवाद के चित्र हमने नीचे दिये हैं.. इनसे स्पष्ट है कि महाराज डेरियस का शासन विश्व के सभी महान राष्ट्रों के क्षेत्रों में था... उनके Persepois अभिलेख में उन्होनें लिखा है -
असुरमेधसं यजे: ऋतानि च ब्रह्माणि (संस्कृत लिप्यन्तरण) जो कि वेदों के निम्न उपदेश का ही भावार्थ है - ऋतस्य पन्था: || (ऋग्वेद, ८.३१.१३)
दोनो जगह ईश्वर और सत्य के लिए - ऋत और ब्रह्म का प्रयोग देखा जा सकता है...
अपने Βιston अभिलेख में डेरियस ने अपनी वंशावली का विवरण इस प्रकार दिया है -
(यहां हम केवल संस्कृत रुपांतरण लिख रहे हैं)
साखामनीष: (हाखामनीष)
|
चसिश्वि
|
अर्यारम्न:
|
ऋषामस्य
|
विष्टाश्व:
|
धारयद्वसु (धार्यवहु) (Darius - Greek)








No comments:

Post a Comment