Wednesday, April 29, 2020

असीरिया का दंड विधान (code of Hammurabi)



दंड विधान चाहे आज हो या कल अथवा इस देश का हो वा अन्य देश का.. दंड विधानों में क ई कारणों से पक्षपात दृष्टिगत हो ही जाता है.. जैसे - दंड विधान में प्रक्षेप के कारण, दंड विधान कर्ता का जातीय, पारिवारिक कुंठित होने के कारण, अधिकारियों और न्यायाधीशों के घूसखोर होने के कारण.. आदि ऐसे अनेकों कारण हैं जिससे दंड विधानों में भेदभाव पक्षपात आ जाता है..
हमारे एक मात्र विद्वान कौम नवभौंदुओं का कहना है कि दूनिया में सबसे पक्षपात युक्त कानून मनु ने बनाया था किंतु उसी मनुस्मृति मे अनेकों जगह ब्राह्मणों को ज्यादा दंड और ज्यादा प्रायश्चित भी है.. किंतु वो सब उन्हें नहीं दिखेगा.. नवभौंदुओं के अनुसार मनुस्मृति कम से कम शुंग कालीन है जिसे डा. अम्बेडकर ने दूनिया का सबसे खराब विधान कहकर जलाया था किंतु प्राचीन काल में अन्य भी दंडविधान थे जो क्रूरता और पक्षपात में हद पार कर गये थे.. इनमें से ऐसा ही एक दंड विधान है असीरिया का दंड विधान जिसका लेखन वहां के शिला पट्टों पर है जिनका काल लगभग 1700 ईसापूर्व माना गया हैं जिसे Code of Hammurabi भी कहतें हैं ये दंड विधान कीलाक्षर लिपि में लिखे गयें हैं जिनका अंग्रेजी अनुवाद हो चुका है...
इन दंड विधानों में किस तरह का पक्षपात है, उसकी एक झलक देखिये -
The code of Hammurabi 209 - 214 में भेदभाव देखें -
1) यदि किसी मनुष्य (असीरिया का प्रतिष्ठित) की बेटी को कोई दूसरा मनुष्य (प्रतिष्ठित) चोट पहुंचाये तो वह 10 शल चांदी जुर्माना देगा...
2) यदि लडकी मर जाती है तो बदले में दंड देने वाले उसकी (मारने वाले) की बेटी को मृत्यु में डाल देगें..
यहां अपराध किसी और ने किया है लेकिन सजा किसी और को मिल रही है.. भला मारने वाले की बेटी का क्या दोष जो उसे उसके पिता की गलती के बदले मारा जा रहा है...
3) यदि मनुष्य किसी साधारण व्यक्ति की पुत्री को चोट पहुंचाये तो उससे 5 शेकल चांदी दंड स्वरुप ली जाये..
4) यदि साधारण व्यक्ति की महिला मर जाये तो दंड आधा मन (मन भारतीय प्रणाली के तौल में भी है) चांदी दंड होगा..
5) अगर ये आघात दासी महिला या सेविका महिला पर हो तो दंड 2 शकल चांदी..
6) अगर महिला मर जावें तो दंड 1/3 मन चांदी..
यहां दंड में प्रतिष्ठित स्त्री, सामान्य मुक्त स्त्री और दासी(सेविका) को देखकर बहुत बडा भेदभाव किया गया है...
Code 203 - 205 में है -
1) अगर दो मनुष्य राज्य में समान पद पर हों तो.. एक मनुष्य यदि दूसरे को चोट पहुंचाता है तो वह एक मन चांदी दंड स्वरुप देगा...
2) यदि एक सामान्य मनुष्य किसी दूसरे सामान्य मनुष्य को चोट पहुंचाये तो उससे 10 शकल चांदी दंड है..
3) अगर कोई दास या सेवक किसी मनुष्य (प्रतिष्ठित) के पुत्र को मारे या चोट पहुंचाये तो नौकर अथवा दास का कान काट लिया जायेगा..
यहां भी दंड विधान में पछपात है... तथा हर जगह की तरह दास को ही कठोर शारिरिक दंड लिखा है...
Code 196 - 199 में लिखा है -
1) आंखे बदले आंख ली जाये..
2) हड्डी तोडने पर हड्डी तोडी जाये.
3) अगर सामान्य या मुक्त व्यक्ति की आंख और हड्डी है तो एक मन चांदी दंड..
4) अगर दास की आंख और हड्डी है तो दंड आधा हो जायेगा...
इस प्रकार पक्षपात युक्त और क्रूरतम दंड विधान हम्मूराबी ने बनाया था जिसमें महिलाओं को स्तन काटने जैसे क्रूरतम दंड विधान भी थे वो भी छोटी - छोटी गलतियों पर.

यही नहीं नवभौंदू के मीम भाईयों के शरीयत कानून में भी ऐसा ही है जिसमें खलीफाओं, शेखों के मजे रहे हैं.. आज का sc - st act और महिला एक्ट आदि भी ऐसे ही कानून है जो पक्षपात युक्त तो है किंतु झूठे आरोपों में इनमें लूट और मोटी रकम भी हडपी जाती है....

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