Monday, March 30, 2020

प्राचीन ग्रीस का तकनीकी विज्ञान


प्राचीन काल में विदेशों (ग्रीकों) की तकनीकी उच्च योग्यता -
प्रायः कुछ अति स्वदेशवादी कहते हैं कि विदेशी प्राचीन काल में नंगे घुमा करते थे और भारतीय क ई सारी तकनीक विकसित कर चुके थे और विमान में उडा करते थे.. विदेशियों ने भारत से तकनीक लगभग 17 वीं शताब्दी के आसपास चुराई.. किंतु ये बात पूर्णतः सत्य नहीं है.. विदेशियों विशेषकर ग्रीकों के पास प्राचीन काल से ही उच्च तकनीकी विज्ञान रहा है जिसके प्रमाण संस्कृत वाङ्मय में भी मिलते हैं... वे लोग भी प्राचीन काल में अनेकों यंत्र बना चुके थे तथा उनसे अनेकों विद्याओं को भारतीयों ने ग्रहण किया और अनेको उन्होनें भारतीयों से ग्रहण किया था... 
ज्योतिष में रोमक और पोलश सिद्धांत भारत में प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध हो गये थे.. जिनका प्रचार लाटदेव और श्रीषेण द्वारा किया गया था.. 
पंचसिद्धान्तिका में भी आया है - पुलिस रोमक वसिष्ठ..... व्याख्यातौ लाटदेव 1.3-4 
इससे रोमक निवासियों का ज्योतिष विज्ञान की प्राचीनता दृष्टिगोचर होती है... 
इसी तरह इन लोगों के पास प्राचीन काल में विमान की भी तकनीक थी जिसका प्रमाण हर्षचरित में इस प्रकार है -
आश्चर्य कूतुहल च... नभस्तलयांत्रिक ... काकवर्ण शेशुनागिश्च निस्त्रिशेन - हर्षचरित षष्ठं उच्छवास 
अर्थात् शिशुनाग के पुत्र काकवर्ण को बंधी बनाये हुए यवनों ने कौतुहल प्रदर्शन के बहाने किसी यंत्र चालित आकाशगामी विमान में बैठाकर किसी शहर के समीप लाकर गला रेंतकर मार दिया था... 
इस तरह उनकी तकनीक का भी ज्ञान होता है.. अत: विमान का दावा केवल भारत में ही नहीं अन्य देशों में भी होता है.. 
ग्रीक में प्राचीन मंदिरों के साथ यज्ञ वेदी भी बनती थी.. जिसमें द्रव्य और पशु आहुति दी जाती थी.. चित्र में एक मंदिर और उसके सामने हवन वेदी देख सकते हैं.. हवन करने के लिए ग्रीक में संस्कृत समान ही ΘΥ थू धातु भी है.. इन यज्ञवेदियों के साथ प्रसिद्ध ग्रीक तकनीकीकार और गणितज्ञ हीरोन (लगभग 15 ईस्वी) ने ऐसी व्यवस्था की थी कि हवन के लिए अग्नि प्रजवल्लित करने पर सामने स्थित मंदिर का दरवाजा अपने आप खुल जाता था.. इसके लिए उन्होने हवन कुंड और जमीन के भीतर ऐसी व्यवस्था की थी कि हवन की अग्नि से होने वाली ताप वृद्धि से नीचे स्थित पात्रों का जल गर्म होकर दूसरे पात्र में जाता तथा ये जल दूसरे पात्र का वजन बढा देता था जिससे दरवाजे के साथ नीचे स्थित घिरनी या दंडे गति करते और दरवाजा अपने आप खुल जाता था.. इस तरह ओटोमेटिक दरवाजा खुलने की तकनीक ग्रीक मंदिरों में प्रथम ईस्वी के समय हो गयी थी (इसका मूल चित्र नीचे है) .. इतना ही नहीं हिरोन ने उस समय स्टीम इंजन, स्वचालित कठपुतलियां, ज्योतिष यंत्र, जल को आगे बढाने वाली मशीन, पवन चक्की, विमान आदि का वर्णन कर दिया था.. उनके प्रयोग ग्रीक भाषा की ओटोमेटा और Gli Artiartificiosi में है... 
इस तरह प्राचीनकाल में विदेशियों के भी पास उच्च विज्ञान व तकनीक सिद्ध होती है...

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