Thursday, November 14, 2013

2600 साल पहले भी चलता था भगवान् श्री राम का सिक्का


क्या भगवान राम की जगह सिर्फ आस्था में है। क्या रामायण महर्षि वाल्मीकि की कल्पना की उपज है। ये सवाल काफी समय से लोगों को मथते रहे हैं। इस इतिहास का एक पन्ना पहली बार खोला है एक मुस्लिम आर्कियोलॉजिस्ट ने। राजस्थान के इस आर्कियोलॉजिस्ट ने देश के सबसे पुराने पंचमार्क सिक्कों से ये साबित कर दिया है कि राम में आस्था ढाई हजार साल पहले भी वैसी ही थी, जैसी आज है। इतिहास में सबसे ज्यादा सिक्का, सिक्कों का ही चलता है। वो इतिहास को एक दिशा देते हैं। घटनाओं के सबूत देते हैं और यही सबूत बाद में इतिहास की किताबों में जुड़ जाते हैं। हिंदुस्तान के इतिहास के लिए ऐसी ही अहमिय है पंचमार्क सिक्कों की। वो सिक्के जिन्हें सबसे पुराना माना जाता है। ये हजारों साल पहले पीट-पीटकर बनाए गए। इतिहासकार इन्हें आहत सिक्के भी कहते हैं। इन्हीं सिक्कों में कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने देशी- विदेशी आर्कियोलॉजिस्ट्स को करीब 100 साल तक उलझाए रखा।
उन पर नजर आती थीं तीन अबूझ मानव आकृतियां। आखिर वो कौन थे। उन्हें अब तक कोई नहीं पहचान सका था। इतिहासकार पिछली एक सदी से इस सवाल पर जूझते रहे लेकिन अब ये पहेली सुलझ गई है। विदेशी आर्कियोलॉजिस्ट जॉन ऐलन ने जिन्हें थ्री मैन कहा था उन्हें एक भारतीय ने पहचान लिया है। ये भारतीय हैं राजस्थान के आमेर किले के सुपरिटेंडेंट जफरुल्ला खां। इनका कहना है कि अगर किसी की हिंदू संस्कृति और इतिहास पर पकड़ हो तो इस पहेली को सुलझाना मुश्किल नहीं। उनका दावा है कि ये आकृतियां राम, लक्ष्मण और सीता की हैं। जफरुल्ला खां ने इस फैसले तक आने से पहले कई साल खोजबीन की। हिंदू मान्यताओं, रामायण और दूसरे धर्मग्रंथों को पढ़ा-समझा। साथ ही राम के चरित्र और पंचमार्क सिक्कों की बारीकी से पड़ताल की। जफरुल्ला ने पाया कि तीनआकृतियों में दो के एक-एक जूड़ा है जबकि एक की दो चोटियां हैं। तीसरी आकृति किसी महिला की लगती है।
ये महिला दूसरे पुरुष के बांयी ओर खड़ी है। हिंदू धर्म के मुताबिक स्त्री हमेशा पुरुष के बांयी ओर खड़ी होती है। तब जफरुल्ला खां इस नतीजे पर पहुंचे कि ये राम, सीता और लक्ष्मण के सिवा कोई नहीं हो सकता।
उनकी बात इससे भी साबित होती है कि सभी पंचमार्क सिक्कों पर सूर्य का निशान होता है लेकिन तीन मानव आकृतियों वाले इन सात तरह के पंचमार्क सिक्कों पर सूर्य का निशान नहीं मिला। इसकी वजह थी कि भगवान राम खुद सूर्यवंशी थे इसलिए अगर किसी सिक्के पर राम की तस्वीर होती है, तो वहां सूर्य के निशान की जरूरत नहीं होती थी। जफरुल्ला यहीं नहीं रुके। उन्होंने यूनानी और इस्लामिक सिक्कों में दिखाए गए धार्मिक चरित्रों को भी देखा-परखा। उनका दावा है कि हिंदू धर्म में राम, सीता और लक्ष्मण शुरू से ही आस्था के सबसे बड़े प्रतीक हैं। इसलिए पंचमार्क सिक्कों पर मौजूद ये थ्री-मैन भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ही हैं।
जफरुल्ला ने इन सिक्कों पर मौजूद एक और आकृति को पहचाना। उन्होंने इसे हनुमान की आकृति बताया है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में उन्होंने अपनी खोज के नतीजे रखे। इसके बाद भारतीय मुद्रा परिषद ने जफरुल्ला का दावा मान लिया और उनका पेपर भी छाप दिया। जफरुल्ला के दावे ने अब हकीकत का चोला पहन लिया है। उनकी खोज ने राम को इतिहास पुरुष बना दिया है। उन्होंने साबित कर दिया है कि राम कुछ सौ साल पुराने चरित्र नहीं हैं।
आस्थाओं में राम ढाई हजार साल पहले भी थे और इसका सबूत हैं ये सिक्के। जफरुल्ला खां की इस खोज पर भरोसा करें तो तय है कि ढाई हजार साल पहले भी राम की पूजा होती थी, यानी राम केवल रामायण में ही नहीं, इतिहास के दस्तावेजों में भी हैं। जय श्री राम

5 comments:

  1. mere pas ye sikka he koi
    kharidna chahta he

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  2. Mere pass ye sikka h Pls call me 9953792332

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  3. Mere pass ye sikka h Pls call me 9953792332

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  4. मेरे पास है यह सिक्का

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  5. I have also a coin same so plz what is the value

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