Wednesday, February 26, 2020

देवाधिदेव महादेव का काल

रुद्र, शिव नाम से अनेकों महापुरुष विभिन्न कालों में हो चुके हैं जिनमें से एक का नाम स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने पुना प्रवचन में भी लिया है वो आशुतोष शिव आदि कालीन है किंतु हम यहां उन शिव की बात कर रहे हैं जिनकी पत्नि पार्वती थी तथा पुत्र कार्तिकेय था। जिनका शिष्य नन्दी था (देखे कामसूत्र) तथा जो अनेकों शास्त्रों के ज्ञाता व योगी थे। 
इनके बारे में युद्धिष्ठिर मीमांसक जी ने अपनी पुस्तक संस्कृत व्याकरण शास्त्र के इतिहास 1 भाग में बताया है कि - 
ब्रह्माण्ड पुराणानुसार इनके पिता का नाम कश्यप तथा माता का नाम सुरभि था। ये 11 भाई थे जो एकादश रुद्र कहलाये। 
शतपथ ब्राह्मण 1.7.3.8 के अनुसार प्राच्यदेश वासी इन्हें शर्व नाम से बुलाते थे। 
ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार "पुत्रत्वे कल्पयामास महादेवस्तदा भृगुम्"- ब्रा.पु. 2/3/1/38 अर्थात् महादेव ने भृगु को पुत्र माना या गोद लिया। 
छंदशास्त्र के यादव प्रकाश भाष्य के अनुसार नन्दी के अलावा बृहस्पति और गुह भी इनके शिष्य थे। 
संस्कृत व्याकरण शास्त्र के इतिहास में इनका काल सतयुग का चतुर्थ चरण अर्थात लगभग 11000 वर्ष पूर्व माना है। किंतु ब्रह्माण्ड पुराण में जो शिव सम्बंधित घटनाये है वो जबकि है तब चाक्षुष मन्वन्तर खत्म हो गया था और वैवस्वत का आरम्भ हुआ था। 
चाक्षुषेस्यांतरे अतीते वैवस्वते पुन: - ब्रह्माण्ड 2/3/1/8 
अर्थात् चाक्षुष मन्वन्तर का अंत और वैवस्वत का प्रारम्भ हुआ था। 
इसी मन्वन्तर के प्रजापतियों में विवस्वान के साथ साथ शिव पुत्र कार्तिकेय का भी नाम है - 
बहुपुत्र: कुमारश्च: विवस्वानन्स शुचिव्रत...... ब्रा.पु. 2/3/1/54
अत: शिव भी चाक्षुष के अंत और विवस्वान के आरम्भ में होने चाहिए। 
वैवस्वत मन्वन्तर की 28 चतुर्युगी बीत चुकी है अर्थात् वैवस्वत का आरम्भ आज से 28 चतुर्युगी पूर्व हुआ था। और यही काल चाक्षुष की समाप्ति का माना जा सकता है। इसी काल में शिव विद्यमान थे। अतः ब्रह्माण्ड पुराणानुसार शिव का काल 28 चतुर्युगी पूर्व हुआ। 
1 चतुर्युगी = 4320000
28 चतुर्युगी = 28×4320000= 120,960,000
अत: शिव का काल आज से 120960000 वर्ष प्राचीन है।

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