Wednesday, February 26, 2020

सम्राट अशोक - लगभग 1100 ईसापूर्व

सम्राट अशोक का जो काल निर्णय आजकल किया जाता है उसका आधार है सम्राट अशोक के शाहबाजगढी आदि शिलालेखों में आये कुछ नाम, इन नामों में आये शब्द योनराज और अतियोक को एंटियोकस नामक सीरिया का राजा माना है तथा जिसका काल लगभग 300 ईसापूर्व के आसपास माना गया है। इसी आधार पर सम्राट अशोक का काल भी लगभग 300 ईसापूर्व माना है। अशोक के शाहबाजगढी और गिरनार के लेख चित्र में देख सकते हैं इन चित्रों में आये नाम निम्न है - चोल, केरलपुत्त, कम्बोज, यवन, अतियोक, पंड्या, अलिक सुंदर आदि।
किंतु आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि ये किसी राजाओं के नाम न होकर स्थान वाची नाम है।
इन नामों के स्थान वाची होने में निम्न है तु है -
1) शिलालेखों में योजनशतादि दूरी का उल्लेख है ये दूरी वाची संज्ञा किसी देश विशेष के साथ ही सार्थक है राजा के नाम के साथ नहीं।
2) शिलालेखों में राजनि या रजॶ पाठ पठित है जो कि राज्ये का सप्तमी प्रयोग है अतः अगर यहां किसी राजा का नाम अभिप्रेत होता तो राज्ञि शब्द होता।
3) पुराणों में यवन, पंड्या, चोल ये सब स्थानों के नाम आये है। जिन्हें हरिवंश आदि में देख सकते हैं -
यवना पारदार्चैव काम्बोजा पह्लवाः शका ।
एतेह्यपि गणा पच्च हैहयार्थे पराक्रमन् ।।
- हरि 1.13.14
जब यवन, कम्बोज स्थान वाची है तो अतियोक व अलक सुंदर भी स्थान के नाम है।
ये सब स्थान के नाम है इसकी पुष्टि ब्रह्माण्ड पुराण के 1/2/16/46-56 तक के श्लोक से होती है। जिन्हें चित्र में भी अंकित किया है। 

इनमें यवन, काल अतोयक (अतियोंक) कंबोज, पंड्या, केरल, चोल आदि नाम स्थान वाची देखे जा सकते हैं। अतः ये नाम राजाओं के न होकर स्थानो के ही है। अतोयक नामक स्थान को न समझकर उससे एंटियोकस राजा लेना पूरी तरह से अशुद्ध है अतः अशोक के काल को एंटियोकस के आधार पर तय करना बिल्कुल अनुचित है।
हमें आवश्यकता है कि हम अपने इतिहास को भारतीय साहित्य संदर्भों के आधार पर बडी सावधानी पूर्वक शुद्ध करने का प्रयास करें।
ये सब स्थानो या राज्यों के नाम है ये रहस्य अकेले शिलालेखों से कभी नही खुल सकता है अतः शिलालेखों, पुरातत्व के साथ साथ भारतीय ग्रंथ(हिंदू, जेन, बौद्ध, नाटक आदि) का भी सावधानी पूर्वक अध्ययन अपेक्षित है अतः अशोक को केवल ईसापूर्व 300 में न समेटकर ईसापूर्व 1100 के आसपास मानना चाहिए।

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