Sunday, June 21, 2015

अवतारवाद से हानि

Image result for अवतारImage result for अवतारImage result for अवतार
Image result for अवतारImage result for अवतार
पोराणिक कथाओं के अवतारवाद के सिद्धांत का लाभ उठा कर हिन्दुओ का हुआ था सबसे अधिक धर्मांतरण ...
दोस्तों हिन्दुओ का धर्मांतरण विधर्मियो ने अनेक तरीको से किया लेकिन उनमे उनका हथियार कोई बाहरी नही बल्कि हमारे अपने पुराण ही थे इनकी अवतार वाले सिद्धांत का फायदा उठा कर असुर म्लेच्छ देवता ओर अवतार बन हिन्दुओ के बीच पूजित होने लगे जेसे की कबीर ,साईं बाबा ,निजामुद्दीन ,मोईनुद्दीन आदि | आज भी दक्षिण भारत ओर आदिवासी इलाको में इसाई लोग उनके मसीह को विष्णु भगवान ,कृष्ण के रूप में दर्शा कर धर्मांतरण कर रहे है | ऐसे ही एक था पीर सदरदीन ये खलीफाओ के हुक्म से इस्लाम फैलाने के उद्देश से ७५० वर्ष पूर्व भारत आया ओर कश्मीर रुका फिर वहा से लाहोर ,लाहोर से सिंध के कोटडा गाँव में रुका | इसने कई हिन्दुओ को मुस्लिम बनाया .. इसके बारे में उलेख इसी के सम्प्रदाय के इसके ग्रन्थ में लिखा है - " पीर सदरदीन पंथज किया जाहर खाना मकान | 
ऐलो खानों आवी कर्यो कोटडा ग्राम निधान ||
पीर सदरदीन जाहर थया हिन्दू कर्यो मुसलमान |
लोवाणा फिर खोजा कर्यो तेने आप्यो सोचो ईमान ||
अर्थात पीर सदरदीन ने सबसे पहले कोटडा ग्राम में निवास किया | ओर हिन्दुओ को मुस्लिम किया ओर लोहाणों को खोजा बनाया | 
इस पीरसदर ने अपने तीन नाम भी रखे लोगो को गुमराह करने के लिए - सदरदीन सहदेव ,हरीचन्द्र |
इसी ने अपने ग्रन्थ अनंत ज्ञान में मुहम्मद आदि को अवतार बताया -
" जीरे भाई रे आज कलियुग मा ईश्वर आदम नाम भणाया |
गुरु ब्रह्मा ने रची मुहम्मद कहाव्या हो जीरे भाई ||
जीरे भाई पुरख उत्तम विष्णु जी अलीरूप नाम भणाया |
ते तो नाम रखो सरे धाया हो जीरे भाई ||
अर्थात कलियुग में परमेश्वर आदम हुआ | ब्रह्मा मुहम्मद ओर विष्णु जी अली |
अगली ही पंक्ति में पीर सदर ने खुद को दसवा अवतार कहा है -
" कलजुग मधे अंनत क्रोडी पीर सहनशाये वर आलिया |
अवतार दशमो दिलमा धरी घट कलशरुपे सही थापिया ||
अर्थात कलियुग में १० वा अवतार पीर सदरदीन ही है जो घट कलश आदि रखवाते है |
आगे दस अवतारों का वर्णन करते हुए पीरसदर ने खुद को १० वा अवतार बताया देखे -
मछ कोरम वाराह मणा पाई |
नरसिंह रुपे स्वामीजी विष्णु भनो ||
वामन परसराम सोई अवतरयो |
श्रीरामे लंकागढ़ नहियो ||
कानजी बुद्ध दखण अवतर्यो |
अढार खुणी शानर देर्यो ||
पाछ में पात्र निक्लंक नारायण |
धेल्म देश में शाजो स्थान रच्यो ||
कोडी पंज सत नव चारो अनत ही नारीधो |
श्री इस्लामशा जो नाम भणाया ||
अर्थात विष्णु ने मच्छ ,कुर्म ,वाराह ,नरसिंह ,वामन ,परशुराम आदिअव्तार धारण किये राम बन लंका ढहाई | श्री कृष्ण ओर बुद्ध हुए | इसके बाद धेलम देश में निश्कलनकी विष्णु ने वही इस्लाम शाह पीर सदर दीन है |
आगे यह सबको इस्लाम मत में लाने को लिखता है ,,यही से इसका असली चेहरा खुलता है -
" चीला छोडो न दीन का धाचा मत खाव 
सुनो बताऊ बावरे मत भूल न जाव 
सांचा दीन रसूल का सो तमे सही करिजाणो 
जो कोई आवे दीन में उनको दीन में आणो ||
अर्थात है मुसाफिर !सुन भूलना नही ,धोखा मत खाना ओर दीन की डोर मत छोड़ना क्यूंकि रसूल का दीन ही सच्चा दीन है | इसलिए तु उसे सच्चा समझ ओर जो लोग आवे उन्हें इस दीन में ला |
यहा स्पष्टतय उसने अपना उद्देश्य प्रस्तुत कर दिया |
आगे ये अपने मतावलम्बियो से कहता है कि उपर से हिन्दू बन कर ओर अंदर से मुसलमान रह कर प्रचार करो - 
" " चरित्र हिन्दू अंदर मुसलमान कोई न तेने जाणे "
(- सभी दोहे पीरसदरदीनकृत अनंत ज्ञान से है )
इसी तरह अवतार वाद नामक पाखंड का फायदा विदेशियों ने उठाया ओर लाखो हिन्दुओ को गुमराह कर मुस्लिम बनाया आज भी रामपाल ,नाइक आदि इसी पाखंड का फायदा उठा रहे है |

1 comment: