मित्रो प्रणाम;
आज कल हिन्दु समाज अपने
पतन का कार्य स्वयं ही कर रहा है,अपूज्य को पूजित कर ओर अंध श्रृध्दा द्वारा
अपना ओर धर्म का नाश कर रहा है। हम मनुष्य है ओर यास्क मुनि ने कहा है “ मत्वा कर्माणि सीव्यते” अर्थात जो मनन शील
है,चिंतन कर(सोच समझ कर) कर्म करता है, वह मनुष्य है,लेकिन हम लोग बिना जांचे,
परखे, सोचे,समझे किसी को भी भगवान मान पूजन करना शुरु कर देते है।
ईश्वर प्राप्ति के लिये श्रृध्दा के साथ साथ ज्ञान का होना भी आवश्यक
है,मुर्खता पूर्ण कर्मो से कभी भी इश्वर की कृपा नही प्राप्त हो सकती है।
जैसा कि सामदेव मे लिखा है कि
“ अरण्योर्निहितो
जातवेदा गर्भइवेत सुभृतो गर्भिणीभि:।
दिवेदिव ईड्यो
जागृवभ्दिर्हविष्मध्दिर्मनुष्योभिरन्गि:॥सामवेद॥
अर्थात जैसे दो अरणियो से अग्नि उत्पन्न की जाती है, उसी प्रकार ज्ञान ओर भक्ति
के द्वारा ईश्वर की प्राप्ति होती है। गीता मे भगवान कृष्ण ने 3:15 मे कि वेद
ईश्वर का ज्ञान है लैकिन आज कल हमारे हिन्दु समाज मे साई जैसे
मासाहारी।धुम्रपानी,हिंसक व्यक्ति चांद मिया को आज इतना महत्व दिया जा रहा है कि
सनातनी महापुरुषो,देवताओ,का अपमान किया जा रहा है,साई को उन सब से बढा चढाकर बताया
जा रहा है।
ये दो चित्र है इनमे से एक दिल्ली के संगम बिहार के एक मन्दिर का है, जिसमे 9
साल पहले कोई साई की मुर्ति नही थी लैकिन आज वहा साई की मुर्ति भी लगी है ओर इतनी बडी कि श्री कृष्ण को किनारे कर दिया है।
वही पास कि एक दुकान पर ये पुस्तक के कवर पेज का चित्र है जिसमे साई
तामसिकहारी को कृष्ण जी के विराट रुप की जगह साई को दर्शाया है।
इस तरह हम देख सकते है कि सेकुलरता का भूत किस तरह घुसा हुआ है कि हम लोग अपने
ही धर्म का अपमान कर रहे है।
धर्म रक्क्षा के लिये हमे अब सचैत हो जाना चाहिए ओर साई मिया द्वारा हो रहे
सनातन धर्म कअ मजाक बनने से रोकना चाहिए।
जय श्री राम!
No comments:
Post a Comment