Saturday, March 29, 2014

क्या महात्मा बुध्द वैदिक यज्ञ विरोधी थे ?

मित्रो नमस्ते हमारे इसी पेज पर हमने बुध्द से सम्बन्धित कुछ पोस्ट की थी जैसे-
बुध्द ओर वैदिक वर्णव्यवस्था     
 बुध्द ओर वेद 
 बुध्द ओर मासाहार     
 गौतम बुद्ध ने गायों के महत्व और उपयोगिता की शिक्षा दी   
अब इसी कडी मे है महात्मा बुध्द क्या वैदिक यज्ञ विरोधी थे। हम ये पहले सिध्द कर चुके है कि भगवान बुध्द वेद विरोधी नही थे बल्कि वेदो का नाम ले कर हिंसा,पशु बलि देने वालो के विरोधी थे उन्होने जन्मजात वर्ण व्यवस्था ओर यज्ञ मे जीव हत्या का विरोध किया जिसकी उन्हे इतनी बडी कीमत चुकानी पडी कि उस समय के धर्म के ठेकेदारो ने नास्तिक घोषित कर दिया। आज भी कई नास्तिक वादी,अम्बेडकर वादी इसी बात का फ़ायदा उठाकर सनातन धर्म का अपमान कर रहे है।
कई लोगो का मानना है कि बुध्द यज्ञ के घौर विरोधी थे। लेकिन वास्तव मे ऐसा नही है। बुध्द ने अपने चार सत्य ओर आठ अष्टांगिक मार्गो के साथ वैदिक शब्द आर्य का प्रयोग किया है। ओर आर्यो के बतलाए मार्ग पर चलने का उपदेश दिया है । जिस की पुष्टि धम्मपद के इस वाक्य से होती है-
       बुध्द ने आर्य का अर्थ वैदो की तरह श्रेष्ट लिया है।   अब आते है बुध्द के यज्ञ विरोध पर तो आप लोग कुटद्न्त सुत्त को देखे इस मे एक कुटदन्त नाम का एक ब्राह्मण यज्ञ करने के उद्देश्य से महात्मा बुध्द के पास जाता है। इस पर महात्मा बुध्द उसे अपने पूर्व जन्म की एक कथा सुनाते है जिसमे बुध्द ने पुरोहित बनकर महाविजित नाम के एक राजा का यज्ञ किया था। साथ मे बुध्द ने यज्ञ करने वाले पुरोहित के चार गुण बताए -सुजात,त्रेवैद्य(वेद विद्या मे निपुण),शीलवान ओर मैधावी, हो उसी से यज्ञ कार्य करवाने चाहिए।
 साथ ही बुध्द ने यज्ञ मे पशु हत्या न करने को कहा ओर कहा कि प्राचिन काल मे यज्ञ मे पशु हत्या नही होती थी।बल्कि घी,तेल,मख्खन,दही,अनाज,मधु,खांड से यज्ञ होते थे।
 साथ ही यज्ञ समबन्धित अन्य अनुशासन के बारे मे बताया।   
 यहा बुध्द का कथन बिल्कुल सत्य है कि बाद मे लालची ब्राह्मणो ने यज्ञ मे बलि प्रथा जैसी कुप्रथा को जोडा था। जिसके लिए बुध्द ने सुत्त निपात 300 मे ब्राह्मणो का लालची हो जाने के बारे मे कहा है। 
बुध्द की इस बात की पुष्टि चरक के इस कथन से होती है-
 इस से स्पष्ट होता है कि प्राचिन काल मे पशु बलि नही होती थी लैकिन बाद मे पुरोहितो मे लालच आ गया था।
 इस के अलावा बुध्द ने  सुत्तनिपात 569 मे यज्ञो मे अग्निहोत्र को मुख्य कहा है जो इस तरह है 
 अर्थात छंदो मे सावित्री छंद(गायत्री छंद ) मुख्य है ओर यज्ञो मे अग्निहोत्र ।  अत: निम्न बातो से निष्कर्ष निकलता है कि बुध्द वास्तव मे यज्ञ विरोधी नही थे बल्कि यज्ञ मे जीव हत्या करने वाले के विरोधी थे।      
जय मा भारती   
ओम

1 comment:

  1. निश्चित ही बुद्ध धर्म सनातन धर्म का ही विशुद्ध रूप है ...
    बुद्धम शरणम गच्छामि ....

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