Saturday, January 24, 2015

संस्कृत भाषा में ह्रदय


संस्कृत भाषा एक वैज्ञानिक भाषा है इस बात का पता उसके किसी वस्तु को सम्बोधन करने वाले शब्दों से भी पता चलता है| इसका हर शब्द उस वस्तु के बारे में जिसका नाम रखा गया है के समान्य लक्षण और गुण को प्रकट करता है ऐसा अन्य भाषओ में बहुत कम है | क्यूंकि पदार्थो के नामकरण ऋषियों ने वेदों से किया है और वेदों में यौगिक शब्द है और हर शब्द गुण आधारित है इस कारण संस्कृत में वस्तुओ के नाम उसका गुण आदि प्रकट करते है , यहा हम ह्रदय शब्द को देखेंगे -
इसे इंग्लिश में हार्ट कहते है और संस्कृत में ह्रदय कहते है अंग्रेजी वाला शब्द वाला इसके लक्ष्ण प्रकट नही कर रहा लेकिन संस्कृत शब्द इसके लक्ष्ण प्रकट कर इसे परिभाषित करता है -
बृहदारण्यकोपनिषद (५-३-१ ) में ह्रदय शब्द का अक्षरार्थ इस प्रकार किया है -" तदेतत् त्र्यक्षर ह्रदयमिति | हृ इत्येकमक्षरमभिहरित , द इत्येकमक्षर ददाति , य इत्येकमक्षरमिति |
अर्थात हृदय शब्द हृञ् हरणे दा दाने तथा इण् गतौ - इन तीन धातुओ से निष्पन्न होता है | हृ से हरित अर्थात शिराओ से अशुद्ध रक्त लेता है , द से ददाति अर्थात शुद्ध करने के लिए फेफड़ो को देता है और य से याति अर्थात सारे शरीर में रक्त को गति प्रदान करता है | इस सिद्धांत की खोज हार्वे ने १९२२ में की थी जिसे हृदय शब्द स्वयम कई लाखो वर्षो से उजागर कर रहा था | 

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