Thursday, February 27, 2014

मानव मस्तिष्क ओर पर्यावरण परिवर्तन की वैदिक अवधारणा(Vaidik concept for Human brain & environmental changes :):

वेदो मे इतना ज्ञान विज्ञान है कि यदि कोई मनुष्य पुरूषार्थ करे
तो इस लोक परलोक दोनो जगह प्रसंशा पा सकता है|ओर वेद
भी ऐसे पुरूषार्थ करने का प्रोत्सान ओर प्रेरणा देते है|
अब मै आपको एक मंत्र बताता हू जिसके दो अर्थ निष्कर्ष निकलते
है जिससे हमे पता लगता है कि मस्तिष्क ओर
पारिस्थतिकी तंत्र क्या होते है ओर कैसे चैंज होते है-
अर्थववेद मंडल२कांड१०सुक्त२मंत्र५ (चित्र भी देखे)
१इससे हमे पता चलता है कि मस्तिष्क को मुख्यतः सात विभागो मे
बाटा गया है जिसको साईंस ने भी पुष्ट किया है,अधिक
जानकारी के लिए निम्न लिंक देखे-
http://thebraingeek.blogspot.in/2012/04/parts-of-brain.html?m=1
२ मानव शरीर की संरचना मे बहुत से
धमनिया,रक्त कोशिका ओर मैरू आदि कार्यरत है| जिनका विस्तार से
वर्णन वेदो मे मिलता है|
३ जीवो मे ५ प्रकार के सैंस होते है जैसे
सुनना,देखना,बोलना,सुघना,छुना ओर बोलना जिनके बारे मे वेदो मे
बताया गया है|
४ इसी मंत्र का भावार्थ करने पर पता चलता है कि मौसम
कैसे बदलता है मतलब
सर्दी ,गर्मी इत्यादि कैसे बदलते है|
५ साथ ही यह भी बताया है कि सात छिद्र
होते है जिनके विभिन्न कार्य होते है-
क.दो आखो का देखना
ख.दो कानो का सुनना
ग.दो नाक छिद्रो का सुघना
घ.एक मुह का बोलना आदि|
५ साथ ही परमात्मा ने हमे सात
इंद्रिया भी दी है जो अगले मंत्र से
पता चलती है|
अब भी कोई अक्ल का अंधा वेदो ओर शास्त्रो को कपोल
कल्पित कहता है तो उससे बडा मुर्ख कोई न होगा|
खोजकर्ता-रजनीश बंसल

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