Thursday, May 14, 2020

ईरान के संस्कृत अपभ्रंश नाम वाले पर्वत

ईरान की प्राचीनकाल में संस्कृत से निकटता इसी बात से सिद्ध है कि वहां पारसी मत का आरम्भ हुआ तथा जिसका मुख्य ग्रंथ अवेस्ता तथा उसकी भाषा संस्कृत जैसी है तथा पारसियों के व्यवहार, कर्मकांडों की समानता वैदिक क्रियाकलापों से देखी जा सकती है। एक तरह से पारसी मत को वैदिक धर्म का हिस्सा कह सकते हैं जैसे कि भारत के अनेकों मत हैं। अत: प्राचीनकाल में ईरान के अनेकों स्थानों के नाम भी संस्कृत आधारित होने चाहिए। ये बात अलग है कि ईस्लामीकरण ने क ई चीजों के नाम के साथ - साथ ईरान का प्राचीन इतिहास- संस्कृति भी बदली होगी किंतु फिर भी कुछ नाम ऐसे मिलते हैं या उनके पुराने नाम ऐसे मिलते हैं कि उसकी संस्कृत से निष्पत्ति दिख ही जाती है -
ऐसे ही ईरान के तीन पर्वतों के नाम देते हैं, जिसमें से दो नाम कृष्णानंद जी ने सुझाये थे -
1) कुबेर कोह - ये पर्वत शिखर ईरान में केस्पियन सागर से नीचे कहीं दायीं ओर है, इसकी हमें गूगल मेप पर कोई लोकेशन प्राप्त नहीं हुई किंतु 18 शताब्दी में कैथ जोनशन द्वारा बनाये गये, वर्ल्ड एटलस में परसिया के नक्शे में है। जिसे चित्र में दर्शाया गया है, वहां कुबेर कोह देख सकते हैं। यहां कोह का अर्थ शिखर जो कि परसियन है तथा कुबेर को आप सब जानते ही होगें अत: कुबेर कोह का अर्थ है - कुबेर शिखर 
सम्भवतः अब इसका कुछ अन्य नाम हो गया हो किंतु 18 वीं शताब्दी के जेग्रोफिकल एटलस पर इस नाम का स्थान अवश्य है। 
2) पर्वत धामावंत - यह गूगल मेप पर देखा जा सकता है, यह एक ज्वालामुखी पर्वत है। इसका संस्कृत तत्सम् रुप इस प्रकार है - धामावंत - धूमवंत पर्वत.. ये ज्वालामुखी है तो उठते धूएं के कारण इसका नाम धूमवंत से धामाव़त होना सिद्ध है.. 
3) कर्कश पर्वत - ये संस्कृत के कर्क से निष्पन्न लगता है..


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