Friday, September 4, 2015

राधा एक काल्पनिक पात्र

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मित्रो राधा नाम कि युवती का वास्तव में श्री कृष्ण से कोई सम्बन्ध नही है | यह पुराणकार विशेष कर ब्रह्मवैवर्त की कल्पना थी अन्य पुराण भागवत में भी उलेख नही मिलता है | श्री कृष्ण को लांछित करने के लिए यह कल्पना पुराणकार द्वार की गयी |
पहले कृष्ण के साथ राधा की मूर्ति नही हुआ करती थी किस प्रकार कृष्ण के साथ राधा की मूर्ति बनी यह जान्ने के लिए नीचे पढ़े -
पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी ने " मध्य कालीन धर्म साधना " में बड़ी उदारता पूर्वक स्वीकार किया है कि 'प्रेम विलास ' और भक्ति रत्नाकर के अनुसार नित्यानंद प्रभु की छोटी जाह्नवी देवी जब वृन्दावन गयी ,तो उन्हें ये देख बड़ा दुःख हुआ कि श्री कृष्ण के साथ राधा नाम की मूर्ति की कही पूजा नही होती है | घर लौटकर उन्होंने नयन भास्कर नामक कलाकार से राधा की मूर्ति बनवाई और उन्हें वृन्दावन भिजवाया | जीव गोस्वामी की आज्ञा से ये मुर्तिया श्री कृष्ण के पार्श्व में रखी गयी और तब से श्रीकृष्ण के साथ राधिका की भी पूजा होने लगी |
सोचिये जो व्यक्ति विवाह बाद १२ वर्ष ब्रह्मचर्य पूर्वक तपस्या कर पुत्र उत्त्पन्न करे | वो केसे अपने ब्रह्मचर्य काल में राधा जेसी काल्पनिक नारी से प्रेम कर सकता है या कोई सम्बन्ध स्थापित कर सकता है ये सब योगिराज कृष्ण को कलंकित करने वाली पोरानिक कथाये है | स्वयम कृष्ण अपने शब्दों में अपने विवाह बाद ब्रह्मचर्य पूर्वक १२ वर्ष साधना में रहने के बाद हुए पुत्र प्रद्युमन का उलेख कर कहते है - " ब्रह्मचर्य महदघोर तीर्त्वा द्वादशवार्षिकम |
हिमवत्पार्श्वमास्थाय यो मया तपसार्जित: ||(सौप्तिकपर्व ,अध्याय १२ ,श्लोक ३०)
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अत: राधा एक काल्पनिक पात्र है | हमे कृष्ण जी के साथ उसे जोड़ उन्हें अपमानित नही करना चाहिए और राधा नाम जोड़ने से हम माता रुक्मणि के साथ कितना अन्याय करते है यह भी देखना चाहिए |  
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