वैशेषिक दर्शन को यदि विज्ञान का दर्शन कहेंगे तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी क्यूंकि रासायन ,भौतिक विज्ञानं के कई सूक्ष्म रहस्यों को इसमें उजागर किया है |
" न द्रव्य कार्य कारण च वधति (१/१/१२ )
कोई भी द्रव्य अपने कार्य कारण को नष्ट नही करता है ..
रासायन विज्ञान में भी जब कोई पदार्थ मिलकर नया योगिक बनाते है ओर उसे समीकरण के रूप में लिखते है तो यौगिक ओर पदार्थो दोनों की संख्या को दोनों तरफ बराबर कर लिखते है जेसे - 2H(2)+O(2)---------> 2H(2)O
इस समीकरण में हाइड्रोजन की संख्या ४ है ओर उस तरफ भी ४ ही है ..ओक्सिजन की दो है तो उस तरफ भी संख्या दो ही है ..यदि दोनों तरफ ये संतुलन न होतो अभिक्रिया का समीकरण गलत माना जाएगा ..इससे इसी सिद्धांत की पुष्टि होती है कि द्रव्य अपने कार्य ओर कारण का नाश नही करता है |
"उभयथा गुणा (१/१/१३)" गुण अपने दोनों का कार्य कारण से नष्ट हो जाता है "
इसे देखिये Na+Cl-----> NaCl
यहा द्रव्य का दोनों तरफ कोई नाश नही हुआ लेकिन गुण का हो रहा है | सोडियम जो ज्वलनशील है ओर क्लोरिन विशेला दोनों का मिल कर नमक बना जो न तो विषेला है ओर ना ही ज्वलनशील ...
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