Tuesday, April 15, 2014

पारसी मत का मूल वैदिक धर्म(vedas are the root of parsiseem)

वेद ही सब मतो व सम्प्रदाय का मूल है,ईश्वर द्वारा मनुष्य को अपने कर्मो का ज्ञान व शिक्षा देने के लिए आदि काल मे ही परमैश्वर द्वारा वेदो की उत्पत्ति की गयी,लैकिन लोगो के वेद मार्ग से भटक जाने के कारण हिंदु,जेन,सिख,इसाई,बुध्द,पारसी,मुस्लिम,यहुदी,आदि मतो का उद्गम हो गया। मानव उत्पत्ति के वैदिक सिध्दांतानुसार मनुष्यो की उत्पत्ति सर्वप्रथम त्रिविष्ट प्रदेश(तिब्बत) से हुई (सत्यार्थ प्रकाश अष्ट्म समुल्लास) लेकिन धीरे धीरे लोग भारत से अन्य देशो मे बसने लगे जो लोग वेदो से दूर हो गए वो मलेच्छ कहलाए जैसा कि मनुस्मृति के निम्न श्लोक से स्पष्ट होता है "
शनकैस्तु  क्रियालोपादिमा: क्षत्रियजातय:।   
वृषलत्वं गता लोके ब्रह्माणादर्शनेन्॥10:43॥  -
निश्चय करके यह क्षत्रिय जातिया अपने कर्मो के त्याग से ओर यज्ञ ,अध्यापन,तथा संस्कारादि के निमित्त ब्राह्मणो के न मिलने के कारण शुद्रत्व को प्राप्त हो गयी।
 " पौण्ड्र्काश्र्चौड्रद्रविडा: काम्बोजा यवना: शका:।  
पारदा: पहल्वाश्र्चीना: किरात: दरदा: खशा:॥10:44॥  
पौण्ड्रक,द्रविड, काम्बोज,यवन, चीनी, किरात,दरद,यह जातिया शुद्रव को प्राप्त हो गयी ओर कितने ही मलेच्छ हो गए जिनका विद्वानो से संपर्क नही रहा।  अत: यहा हम कह सकते है कि भारत से ही आर्यो की शाखा अन्य देशो मे फ़ैली ओर वेदो से दूर रहने के कारण नए नए मतो का निर्माण करने लगे। इनमे ईरानियो द्वारा "पारसियो" मत का उद्गम हुआ।पारसी मत की पवित्र पुस्तक जैद अवेस्ता मे कई बाते वेदो से ज्यों की त्यों ली गयी है। यहा मै कुछ उदाहरण द्वारा वेदो ओर पारसी मत की कुछ शिक्षाओ पर समान्ता के बारे मे लिखुगा-   1 वैदिक ॠषियो का पारसी मत ग्रंथ मे नाम- 
पारसियो की पुस्तक अवेस्ता के यास्ना मे 43 वे अध्याय मे आया है " अंड्गिरा नाम का एक महर्षि हुवा जिसने संसार उत्पत्ति के आरंभ मे अर्थववेद का ज्ञान प्राप्त किया।  
 एक अन्य पारसी ग्रंथ शातीर मे व्यास जी का उल्लेख है-"

"अकनु बिरमने व्यास्नाम अज हिंद आयद  !                                दाना कि  अल्क    चुना  नेरस्त  !!

अर्थात  :- "व्यास नाम का एक ब्राह्मन हिन्दुस्तान से आया . वह बड़ा ही  चतुर  था और उसके सामान अन्य कोई बुद्धिमान नहीं हो सकता  ! "    पारसियो मे अग्नि को पूज्य देव माना गया है ओर वैदिक ॠति के अनुसार दीपक जलाना,होम करना ये सब परम्परा वेदो से पारसियो ने रखी है।
 इनकी प्रार्थ्नात की स्वर ध्वनि वैदिक पंडितो द्वारा गाए जाने वाले साम गान से मिलती जुलती है। 
 पारसियो के ग्रंथ  जिन्दावस्था है यहा जिंद का अर्थ छंद होता है जैसे सावित्री छंद या छंदोग्यपनिषद आदि|
 पारसियो द्वारा वैदिक वर्ण व्यवस्था का पालन करना-
पारसी भी सनातन की तरह चतुर्थ वर्ण व्यवस्था को मानते है-
1) हरिस्तरना (विद्वान)-ब्राह्मण  
2) नूरिस्तरन(योधा)-क्षत्रिए  
3) सोसिस्तरन(व्यापारी)-वैश्य
 4) रोजिस्वरन(सेवक)-शुद्र                                  
संस्कृत ओर पारसी भाषाओ मे समानता- 
यहा निम्न पारसी शब्द व संस्कृत शब्द दे रहा हु जिससे सिध्द हो जाएगा की पारसी भाषा संस्कृत का अपभ्रंश है-
 कुछ शब्द जो कि ज्यों के त्यों संस्कृत मे से लिए है बस इनमे लिपि का अंतर है-
 पारसी ग्रंथ मे वेद- अवेस्ता जैद मे वेद का उल्लेख- 
1) वए2देना (यस्न 35/7) -वेदेन    
अर्थ= वेद के द्वारा  
 2) वए2दा (उशनवैति 45/4/1-2)- वेद  
 अर्थ= वेद     
 
वएदा मनो (गाथा1/1/11) -वेदमना  
अर्थ= वेद मे मन रखने वाला    
अवेस्ता जैद ओर वेद मंत्र मे समानता:- वेद से अवेस्ता जैद मे कुछ मंत्र लिए गए है जिनमे कुछ लिपि ओर शब्दावली का ही अंतर है, सबसे पहले अवेस्ता का मंथ्र ओर फ़िर वेद का मंत्र व अर्थ-                                        1) अह्मा यासा नमडंहा उस्तानजस्तो रफ़ैब्रह्मा(गाथा 1/1/1) 
मर्त्तेदुवस्येSग्नि मी लीत्…………………उत्तानह्स्तो नमसा विवासेत ॥ ॠग्वेद 6/16/46॥ 
=है मनुष्यो | जिस तरह योगी ईश्वर की उपासना करता है उसी तरह आप लोग भी करे।     
   2) पहरिजसाई मन्द्रा उस्तानजस्तो नम्रैदहा(गाथा 13/4/8)  
 …उत्तानहस्तो नम्सोपसघ्………अग्ने॥ ॠग्वेद 3/14/5॥
 =विद्वान लोग विद्या ,शुभ गुणो को फ़ैलाने वाला हो।
 3) अमैरताइती दत्तवाइश्चा मश्क-याइश्चा ( गाथा 3/14/5) 
-देवेभ्यो……अमृतत्व मानुषेभ्य ॥ ॠग्वेद 4/54/2॥
 =है मनु्ष्यो ,जो परमात्मा सत्य ,आचरण, मे प्रेरणा करता है ओर मुक्ति सुख देकर सबको आंदित करते है।  4) मिथ्र अहर यजमैदे।(मिहिरयश्त 135/145/1-2) 
-यजामहे……।मित्रावरुण्॥ॠग्वेद 1/153/1॥ 
जैसे यजमान अग्निहोत्र ,अनुष्ठानो से सभी को सुखी करते है वैसे समस्त विद्वान अनुष्ठान करे।        उपरोक्त प्रमाणो से सिध्द होता है कि वेद ही सभी मतो का मूल स्रोत है,किसी भी मत के ग्रंथ मे से कोई बात मानवता की है तो वो वेद से ली गई है बाकि की बाते उस मत के व्यक्तियो द्वारा गडी गई है। 
om jai maa bharti

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