Friday, October 4, 2013

ll " राम राज " वाला एक गाँव ll


रामराज की परिकल्पना ऐसी थी कि जहां कोई अपराध ना हो व्याभिचार ना हो जहां सब सुखी हों, लेकिन कलियुग में क्या ऐसा संभव है जी हां उत्तर प्रदेश में ऐसा गांव है जहां 15 सालों से कोई अपराध नहीं हुआ है.
गोरखपुर जिले के सहजनवा थाना क्षेत्र स्थित करीब 1500 की आबादी वाले तख्ता गांव के लोगों को इस बात पर गर्व है किउनका गांव अपराध की काली छाया से दूर है.
उनका दावा है कि विगत 15 वर्षो में यहां मारपीट, फौजदारी, चोरी, लूट, अपहरण या हत्या जैसी कोई आपराधिक घटना नहीं हुई है. यहां कलियुग में भी 'रामराज' स्थापित है. अगर आप यह सोचते हैं कि उत्तर प्रदेश में अपराध- मुक्त होने का दावा केवल तख्ता गांव के लोग ही कर रहे हैं, तो ऐसा नहीं है. पुलिस के रिकार्ड भी उनके दावों पर मुहर लगाते हैं। सहजनवा थाने के रिकार्ड में यह गांव डेढ़ दशकसे बिल्कुल बेदाग है.
सहजनवा थाने के कार्यकारी थाना प्रभारी लल्लन सिंह ने कहा कि तीन साल पहले जब इस थानेमें मेरी तैनाती हुई थी तो मुझ्झे इस गांव की खासियत जानकर बहुत आश्चर्य हुआ था. हत्या या अपहरण जैसे बड़े अपराधों को तो छोड़ ही दीजिए, पर्स चोरी, झपटमारी और चोरी जैसे छोटे अपराध की शिकायत भी इस गांव से वर्षो से नहीं आई है.
यह पूछने पर कि पंद्रह साल पहले यहां कौन- सा बड़ा अपराध हुआ था, उन्होंने असर्थता जताते हुए कहा कि इसके लिए पुराने रिकार्ड खंगालने पड़ेंगे, जिसमें बहुत ज्यादा समय लगेगा. तख्ता गांव भले ही पंद्रह वर्षो से अपराध-मुक्त रहा हो, लेकिन ऐसा नहीं है कि दूसरे गांवों कीतरह यहां के लोगों में आपसी मनमुटाव नहीं होता. अगर कभी किसी के बीच मनमुटाव हो भी गया तो गांव के बड़े-बुजुर्ग और पंचायत, गांव की सरहद के अंदर ही मामला सुलझा देते हैं. इसलिए छोटे-मोटे मामले थाना तक नहीं पहुंचते हैं. एक ग्रामीण शिव प्रताप मिश्रा (65) कहते हैं, "यहां भी लोगों के बीच छोटा-मोटा विवाद होता है, पर वे मामले को लेकरथाने पर न जाकर गांव के बड़े- बुर्जुगों के पास मुद्दा रखते हैं. बड़े-बुजुर्ग जो फैसला करते हैं, दोनों पक्ष खुशी- खुशी उसे स्वीकार कर लेते हैं." स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़े- बुजुर्गो का सम्मान और उनके प्रति भरोसा जताए जाने के कारण आसपास के इलाके में उनके गांव को विशिष्ट पहचान मिली है. गोरखपुरशहर से करीब 40 किलोमीटर दूर तख्ता गांव की आबादी का 75 प्रतिशत हिस्सा ब्राह्मण बिरादरी का है. 25 प्रतिशत में दलित एवं अन्य जातियां हैं। गांव के ज्यादातर लोग खेती करते हैं और कई घरों के लोग सरकारी और निजी नौकरियों में भी हैं...l

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