Thursday, October 3, 2013

प्रेम क्या है ?

जैसा कि आज देखा जाता है कि एक लडका ओर लडकी live in relationship मे रहने लगे ओर अपनी इस वासनापुर्ति को उनहोने पवित्र प्रेम शब्द का नाम देकर अपने आप का प्रेम रूपी ढाल से बचाव कर लिया लेकिन ऐसे लोग आज प्रेम शब्द को दुषित कर रहे है..
प्रेम पवित्रता है,शक्ति है,अविरत चलनेवाला एक संगीत है,प्रेम ही विकीर्णी जगत के प्रथम अणु मे उत्पादन की अदम्य शक्ति संचार करता है..
प्रेम की शक्ति जानने के लिए इस कहानी को पढे..
"कलकत्ता के अस्पताल मे एक बेहोश महिला लाई गई।उस का चार वर्ष का बच्चा खो गया था।वह उसे ढूढती हुई रेल की सडक को पार कर रही थी कि इतने मे रेलगाडी की टक्कर से चोट खा कर पटरियो से काफी दूर जा गिर पडी ओर बेहोश हो गई।उस की नाडी बन्द हो गई,हृदय की गति न रही,परन्तु उस संज्ञा हीन हालत मे उसकी आखे अपने खोए हुए बच्चे की तलाश मे व्याकुल हो रही थी..
जुबान पर सिर्फ उसे अपने बच्चे का ही नाम था..
डाक्टर ने कहा कि उस बेहोशी की हालत मे भी,जब हृदय ओर नाडी ने गति करना छोड दिया था तब केवल बच्चे के प्रेम ने इसे जीवित रखा।कुछ देर बाद हृदय मे गति आयी..
प्रेम ने एक मरते हुए को मरने न दिया दृश्यमान मृत्यु मे भी जीवन को बनाए रखा..."
ये है प्रेम की शक्ति..


अब दुसरी कहानी भी देखो(दोनो कहानिया सत्य घटनाए है लेकिन मेरे पास इनका सबुत नही है वैसे प्रेम मे भाव की प्रधानता होती है)
राजस्थान का बारा जिला सहरिया आदिवासियो का स्थान है जहा शाहबाद तहसील मे इन लोगो की एक देवी है निहाल देवी..
ये स्थान एक जंगल मे है जहा कभी कभी जंगली जन्तु भी दिखाई दे जाते है..
एक सहरिया दंपत्ति निहाल देवी के दर्शन करने किसी पास के गाव से आए थे ओर दर्शन के बाद रास्ता भटक गए ओर बीच जंगल मे घुम गए तब अचानक किसी भालु ने उन दोनो पति पत्नि पर हमला किया अपनी पत्नि को खतरे मे देख सहरिया युवक भालु पर निहता ही टूट पडा..
भालु ने उसके शरीर पर अपने पंजे के जोरदार 2 से 3 बार किए ओर आदमी को जख्मी ओर बेहोशी की अवस्था मे कर दिया लेकिन उस व्यक्ति के अन्दर संचरित शक्ति ओर भगती के कारण उसने भालु के मुह से जीभ निकाल कर खीच कर भालु को मार दिया ओर खुद बोहोश हो गया..
इस घटना के दो दिन अस्पताल मे भर्ति के बाद वो मृत हो गया..
लोकिन उसका अपनी पत्नि के प्रेम ने उसमे हिम्मत ओर बल का संचार कर दिया था कोई ओर होता तो जान बचाने या फिर कायरता पूर्वक मर जाता..
वास्तव मे प्रेम मे शक्ति है सुभाष चन्द्र बोस,भगतसिहं,आजाद,मंगलपाण्डे आदि देशभक्तो के देश प्रेम ने उनहे बलिदान होने को प्रेरित किया था।
प्रेम एक ऐसी चीज है जो कि वासनाओ का अंत करती है यह पवित्र है इसे शब्दो मे बाधना असम्भव है लेकिन आज कल लोगो ने वासना को प्रेम का रूप देकर प्रेम शब्द को विकृत पंगु बना दिया है..
आज live in open relationshipवाले कूल डूड प्रेम को बदनाम तो कर ही कहे है साथ मे भारतीय संस्कृति की मर्यादा भंग कर इसे भी मृत कर रहे है..

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